नई दिल्ली। मॉनसून में देरी के कारण दलहन फसलों की बोआई पहले ही पिछड़ गई थी और इस खरीफ सीजन में इनका रकबा घटा है। बोआई के बाद जब इन फसलों को पानी की जरूरत थी, उस समय इंद्रदेव भी रूठ गए जिससे इस साल दलहन फसलों की पैदावार घट सकती है।
हाल में हुई बारिश से दलहन फसलों को खास फायदा होता नहीं दिख रहा है। जानकारों के मुताबिक अरहर को तो फायदा हो भी सकता है। लेकिन मूंग व उड़द को नुकसान भी हो सकता है क्योंकि कुछ इलाकों में इनकी कटाई शुरू हो चुकी है।
दलहन की कमजोर बोआई के बाद अब मॉनसून की बेरुखी से उत्पादकता में कमी आ सकती है। इससे दलहन उत्पादन घट सकता है। ऐसे में उपभोक्ताओं को दालों की महंगाई से बहुत राहत मिलने की उम्मीद कम ही है।
इस साल 121 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बोआई हो चुकी है, जो पिछले साल की इसी अवधि में हुई बोआई 127.57 लाख टन से 5.15 फीसदी कम है। खरीफ सीजन की सबसे बड़ी दलहन फसल- अरहर का रकबा 5.66 फीसदी घटकर 43.21 लाख हेक्टेयर रह गया है। मूंग के रकबे में 7 फीसदी और उड़द के रकबे में 2 फीसदी से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।
मध्य प्रदेश के किसान और उड़द की खेती करने वाले रमेश शर्मा ने बताया कि जब जरूरत थी, तब पानी बरसा नहीं जिससे फसल को नुकसान हुआ है। और अब जब उड़द की कटाई शुरू होने वाली है, तो पानी बरस रहा है। इससे और ज्यादा नुकसान होगा। उड़द की गुणवत्ता खराब होने से भाव कम मिलने का डर है। मध्य प्रदेश के किसान लखन मीणा कहते हैं कि जल्दी पकने वाली मूंग की फसल को इस बारिश से नुकसान है। हालांकि यह बारिश अरहर के लिए फायदेमंद है।
आईग्रेन इंडिया में जिंस विश्लेषक राहुल चौहान कहते हैं कि अगस्त में बारिश न होने से दलहन फसलों की बढ़ोतरी रुक गई थी। लेकिन अब बारिश होने से खासकर अरहर को फायदा हो सकता है। हालांकि मूंग व उड़द की जो फसल कट रही हैं या जल्द ही कटने वाली हैं, उनको नुकसान है।
अब बारिश से ये फसलें दागी हो सकती हैं। चौहान ने बताया कि चूंकि बोआई 5 फीसदी से ज्यादा घटी है और पहले बारिश न होने से सभी दलहन फसलों को नुकसान भी हुआ है। इसलिए हाल में हुई बारिश से फायदे के बावजूद कुल उत्पादन कम ही रहने वाला है। महाराष्ट्र के दाल कारोबारी संतोष उपाध्याय कहते हैं कि विदर्भ में बारिश की काफी कमी थी,लेकिन अब बारिश दलहन के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।
हालांकि पहले बारिश न होने से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई संभव नहीं है। कमोडिटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल ने बताया कि अब बारिश के बाद सूखे की चिंता खत्म हो गई है और आगे जो नुकसान का डर था, अब वो नहीं होगा। लेकिन कुल दलहन उत्पादन में कमी आना तय है। चूंकि अभी अरहर की फसल आने में समय है। इसलिए यह बारिश अरहर के लिए तो फायदेमंद है। लेकिन कटने को तैयार मूंग व उड़द की फसल को इस बारिश से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
उपभोक्ताओं को महंगा पड़ेगा दाल का तड़का
इस साल उपभोक्ताओं को दाल की महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। सरकार भी दालों की महंगाई रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है। फिर भी इनकी महंगाई से राहत नहीं मिल सकी है। मॉनसून अनुकूल न रहने के कारण आगे भी दालों की महंगाई से खास राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है क्योंकि दलहन का रकबा भी घटा है और समय पर बारिश न होने से उम्मीद के अनुसार दलहन उत्पादन की भी संभावना नहीं है। चौहान ने कहा कि आपूर्ति के संकट के कारण देश में इस साल दालों की कीमतों में तेजी आई है।
सरकार ने दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भंडारण सीमा, भंडारण पर सख्त नजर जैसे कदम उठाए। लेकिन इनके बावजूद दालों की कीमतों में गिरावट नहीं आई। हालांकि इस माह बारिश से फसल को लाभ और ऊंचे भाव पर कीमतों में कुछ गिरावट आई है। आगे कमजोर बोआई को देखते हुए दलहन उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम ही रहने वाला है।
नई फसल की आवक के बीच आयात अधिक होने पर आपूर्ति संकट की समस्या कुछ कम हो सकती है। लेकिन इसके बाद भी दालों के भाव फिलहाल सामान्य स्तर पर आने के आसार नहीं दिख रहे हैं। महाराष्ट्र के दाल कारोबारी समीर शाह कहते हैं कि आने वाले दिनों में भाव दलहन उत्पादन पर निर्भर करेंगे। अभी खासकर अरहर की नई फसल आने में समय है। इस समय इसके उत्पादन का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगा क्योंकि पता नहीं आगे मौसम में क्या बदलाव होगा?
इस साल 35 फीसदी तक बढ़ चुके हैं दालों के दाम
इस साल दालों की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक दालों की औसत खुदरा कीमतों में 10 से 35 फीसदी तेजी आ चुकी है। एक जनवरी को देश भर में अरहर दाल की औसत खुदरा कीमत 110.45 रुपये थी, जो अब करीब 35 फीसदी बढ़कर 148.5 रुपये किलो हो गई है। इस दाल के अधिकतम खुदरा भाव 188 रुपये किलो है।
इस साल अब तक मूंग दाल 101.82 रुपये से बढ़कर 113.51 रुपये, उड़द दाल 105.44 रुपये से बढ़कर 116.91 रुपये और चना दाल के औसत खुदरा मूल्य 70.45 रुपये से बढ़कर 80.1 रुपये किलो हो गए हैं। सरकार खासकर अरहर की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठा रही है। बावजूद इसके दाम घटने की बजाय बढ़ रहे हैं। सरकार ने जून महीने में अरहर व उड़द पर भंडारण सीमा लगाई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसके बाद अरहर की औसत खुदरा कीमत करीब 26 रुपये और उड़द की करीब 7 रुपये किलो बढ़ चुकी है।