पीएम मोदी ने फिर चौंकाया; महिला आरक्षण बिल कैबिनेट से पास, विशेष सत्र में होगा पेश

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नई दिल्ली। Women reservation bill passed: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक को आज शाम मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सोमवार को केंद्र की कैबिनेट बैठक हुई। संसद के एनेक्सी भवन में हुई यह बैठक करीब डेढ़ घंटे चली।

इस बैठक के दौरान महिला आरक्षण बिल कैबिनेट से पास हो गया। केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने ट्वीट करके इसकी पुष्टि की। अपने ट्वीट में प्रहलाद पटेल ने लिखा कि महिला आरक्षण की मांग पूरा करने का नैतिक साहस मोदी सरकार में ही था, जो कैबिनेट की मंज़ूरी से साबित हो गया। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का अभिनंदन किया है।

बैठक में पीएम मोदी समेत विभिन्न मंत्री शामिल हुए। संसद के विशेष सत्र का ऐलान होने के बाद से अनुमान लगाए जा रहे थे कि पीएम मोदी एक बार फिर चौंकाएंगे। सोमवार को कैबिनेट मीटिंग के दौरान पीएम मोदी के अलावा विभिन्न केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल, संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी, निर्मला सीतारमण समेत विभिन्न केंद्रीय मंत्री मौजूद थे।

कांग्रेस की आई प्रतिक्रिया: वहीं, इस फैसले पर कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिख कि महिला आरक्षण लागू करने की मांग कांग्रेस लंबे समय से कर रही थी। हम केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले का स्वागत करते हैं और बिल से जुड़ी जानकारियों का इंतजार कर रहे हैं। रमेश ने कहा कि विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के पीछे की राजनीति के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी।

जयराम रमेश ने अपने एक पुराने पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें महिला आरक्षण विधेयक की पृष्ठभूमि का हवाला दिया गया था। उन्होंने कहा था कि सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था।

रमेश के अनुसार, अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्ह राव ने पंचायतों और नगर निकायों में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया था। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। आज पंचायतों और नगर निकायों में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं।

यह आंकड़ा 40 प्रतिशत के आसपास है। उन्होंने कहा था कि राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं। इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी मौजूद है। कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।

खूब हुई थी कयासबाजी: गौरतलब है कि सर्वदलीय बैठक के दौरान भी महिला आरक्षण को लेकर चर्चा हुई थी। वहीं, कांग्रेस ने लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक पेश करने और इसे सर्वसम्मति से पारित कराने की सत्ता पक्ष से मांग की थी। वहीं, कैबिनेट मीटिंग को लेकर खूब कयासबाजी चल रही थी। अनुमान लगाए जा रहे थे कि कैबिनेट मीटिंग में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा कर सकती है। वहीं, कुछ लोगों का ऐसा भी कहना कि वन नेशन, वन इलेक्शन पर बात होने की उम्मीद है। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही तरफ से महिला आरक्षण बिल को लेकर जोर दिया जा रहा था। इसलिए सबसे ज्यादा अनुमान इसी को लेकर था। सोमवार को संसद के विशेष सत्र के संबोधन के दौरान भी पीएम मोदी ने इस बारे में संकेत दिए थे। उन्होंने कहा कि संसदीय इतिहास के प्रारंभ से अब तक दोनों सदनों में कुल मिलाकर लगभग 7500 सदस्यों ने प्रतिनिधित्व किया है जिनमें करीब 600 महिला सदस्य रही हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे महिला सदस्यों की संख्या बढ़ती गयी है। माना जा रहा था कि यह महिला आरक्षण का संकेत है।

विपक्ष ने भी उठाई थी मांग: सदन में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी नेता सोनिया गांधी के प्रयास से राज्यसभा में एक बार संबंधित विधेयक पारित हो चुका था, लेकिन अब समय आ गया है कि सत्ता पक्ष महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने संबंधित विधेयक इस सत्र में पेश करे और इसे मूर्त रूप देने में भूमिका निभाए। उन्होंने विपक्षी दलों को अपने विचार रखने के लिए भी एक दिन तय करने का अनुरोध किया। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने भी देश की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने वाले विधेयक को मूर्त रूप देने की मांग सरकार से की।