दलहन की रिकॉर्ड पैदावार, सरकार ने निर्यात पर लगी रोक हटाई

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नई दिल्ली । दलहन की कमी दूर करने के लिए किसानों को सरकार के प्रोत्साहन से दालों की पैदावार ने नई ऊंचाइयां छू तो ली लेकिन उनकी यही सफलता अब भारी पड़ने लगी है।

इसी समस्या के समाधान के लिए सरकार ने दालों के निर्यात पर लगी रोक हटा लिया है। लेकिन इससे समस्या के सुलझने पर संदेह है। बाजार में दलहन के मूल्य सुधरने के आसार कम ही हैं। दलहन कारोबारियों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय दालों की मांग बहुत कम है।

दुनिया के कई देशों में दलहन की खेती सिर्फ भारत की मांग को पूरा करने के लिए की जाती है। लिहाजा घरेलू आपूर्ति बढ़ने अथवा आयात कम होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में दलहन की कीमतें और घटेंगी।

नजीर के तौर पर मटर के आयात पर 50 फीसद आयात शुल्क लगाने के प्रावधान के बाद विश्व बाजार में मटर की कीमत 60 डॉलर प्रति टन कम हो गई हैं। मटर का भाव 300 डॉलर प्रति टन से कम होकर 240 डॉलर रह गया है। दलहन बाजार के जानकारों की मानें तो दलहन की बाकी उपज के आयात पर रोक लगाये बगैर घरेलू बाजारों के मूल्य में सुधार नहीं होने वाला है।

चना, अरहर, उड़द, मसूर और मूंग जैसी प्रमुख दालों के आयात पर कोई रोक-टोक नहीं है। इन जिंसों के आयात को शुल्क मुक्त रखा गया है। सूत्रों का कहना है कि चना आयात जारी है। डेढ़ लाख टन चना किसी भी समय बंदरगाहों पर पहुंच सकता है। सरकार ने विभिन्न दालों पर अलग-अलग प्रावधान कर रखा है। उड़द और मूंग जैसी दालों पर मात्रत्मक प्रतिबंध है।

पिछले दो-तीन सालों से दालों की मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने किसानों को भरपूर प्रोत्साहन दिया है। उन्नतशील बीज, प्रौद्योगिकी, खाद, कीटनाशकों की समुचित आपूर्ति के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी इजाफा होने से दलहन खेती के रकबे में वृद्धि हुई और उत्पादकता में सुधार हुआ। लिहाजा रिकॉर्डतोड़ पैदावार हुई।

सरकार ने पहली बार बफर स्टॉक बनाकर दालों की सरकारी खरीद शुरू की। खरीद होने से जमाखोर और कालाबाजारी करने वालों को करारा धक्का लगा। गेहूं व चावल की खरीद की तर्ज पर 20 लाख टन दलहन की खरीद की गई।

लेकिन दालों की आपूर्ति घरेलू खपत के मुकाबले कहीं अधिक हो गई। इसके बावजूद पैदावार अधिक होने का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।  दालें न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे पहुंच गई हैं। कीमतों में गिरावट का यह मंजर लगभग सभी राज्यों की मंडियों में देखने को मिल रहा है।

बाजार में कीमतों में सुधार के लिए दालों के आयात पर फिलहाल प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। हालांकि सरकार ऐसे सख्त कदम उठाने से पहले पूरी स्थिति की समीक्षा कर रही है।