भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधि ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के मसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राज्य सरकार का पक्ष रखे जाने के बाद लगातार उनकी आलोचना कर रहे हैं। इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में एक भी ऐसा नहीं है, जिन्होंने केन्द्र सरकार के समक्ष कभी ईमानदारी से राजस्थान का पक्ष रखा हो। बल्कि वे राजनीतिक चश्मे से इस एयरपोर्ट के निर्माण की प्रक्रिया को देख रहे हैं और राज्य सरकार से वह राशि देने की मांग कर रहे जो असल में केन्द्र सरकार को अदा करनी है।
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Politics on New Airport Kota: राजस्थान के कोटा में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की स्थापना के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दिए गए बयान के बाद कोटा से निर्वाचित केंद्र एवं राज्य के जनप्रतिनिधि बुरी तरह से बौखलाए हुए हैं।
उनकी बौखलाहट इस वजह से ज्यादा है कि अब मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से यह जता दिया है कि यदि केंद्र सरकार कोटा में नया ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट नहीं बनाना चाहती या इसकी स्थापना में अड़चन पैदा करना ही मकसद है। केंद्र सरकार मना कर दे तो राज्य सरकार किशनगढ़ की तरह कोटा में भी अपने स्तर पर एयरपोर्ट का विकास करेगी।
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद कोटा जिले के तीन भाजपा विधायकों ने एक बयान जारी करके अपनी बौखलाहट को भी जगजाहिर कर दिया है। वे कोटा में विश्व स्तरीय चंबल रिवर फ़्रंट सहित ऑक्सीजोन सिटी पार्क के भव्य लोकार्पण को भी पचा नहीं पा रहे हैं। क्योंकि अब वे कोटा में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की स्थापना के मसले को कोटा के विकास से जोड़ रहे हैं।
उनका ताजा बयान यह है कि कोटा के नागरिकों को औचित्यहीन चौराहे नहीं बल्कि एयरपोर्ट की आवश्यकता थी। वे कहते है कि राजस्थान सरकार ने करोड़ो रुपए खर्च कर अनुचित व अनुपयोगी चौराहे बना दिये हैं। लेकिन राज्य सरकार के पास एयरपॉर्ट के लिए 106 करोड रुपए नहीं हैं, जिसकी मांग केन्द्र से कर रहा है।
इसके विपरीत अधिकारिक तौर पर यह बताया जा चुका है कि राज्य सरकार अपने हिस्से के जिम्मेदारी पूरी कर चुकी है, जिसके तहत राज्य सरकार ने केंद्र के नागरिक उड्डयन विभाग को कोटा नगर नगर विकास न्यास की ओर से मुफ्त में शंभूपुरा गांव में 500 एकड़ जमीन उपलब्ध करवा दी है। साथ ही वन भूमि की एवज में वन विभाग को राज्य सरकार की ओर से कोटा नगर विकास न्यास पहली किश्त के रूप में 21 करोड़ 13 लाख रुपए जमा करवा चुका है।
जबकि अब एक विधायक नियमों का हवाला देकर कोटा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए 106 करोड़ रुपए केंद्रीय ऎजेंसी को देने की मांग कर रहे हैं, जिसका औचित्य समझ के बाहर है और आरोप लगा रहे हैं कि राज्य सरकार जानबूझ कर राशि जमा करवाने की जगह विवाद खडा कर रही है।
असल में अब कोटा में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के निर्माण के संबंध में बची हुई औपचारिकताएं केंद्रीय स्तर पर ही पूरी की जानी है, जो एक सामान्य सी प्रक्रिया है, लेकिन चूंकि वर्तमान में राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार है। इसलिए भाजपा का नेतृत्व ठीक उसी तरह कोटा में नए हवाई अड्डे के निर्माण में बाधाएं उपस्थित कर रहा है, जिस तरह से बीते साढे़ 4 सालों में 13 जिलों की महत्वाकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के मसले पर की जा रही है, जिसे राज्य सरकार पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
लेकिन वायदा करके भी केंद्र सरकार उसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं कर रही है। क्योंकि अगर ऐसा होता है तो उसका पूरा श्रेय कांग्रेस सरकार को मिलेगा। ठीक इसी तरह
यदि मौजूदा गहलोत सरकार के शासन में रहते कोटा में नए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट का निर्माण शुरू कर दिया गया तो इसका श्रेय राज्य सरकार को ही जाना तय है। भाजपा नेतृत्व इसके पक्ष में कतई नहीं है।
कोटा में नए एयरपोर्ट की वकालत कर रहे यह विधायक बीते पांच सालों में शायद ही कभी इस मसले को लेकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय मंत्री या मंत्रालय के अधिकारियों से मिले हों, लेकिन अब चूंकि विधानसभा चुनाव नजदीक है तो राजनीति कर रहे हैं।
इनमें से एक विधायक तो ऐसे हैं जो मुख्यमंत्री को शब्दों की मर्यादा समझाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि उन्हें अपनी आम सभाओं में मर्यादाहीन भाषा बोलने के लिए ही जाना जाता है और अपनी इसी मर्यादाहीन भाषा के इस्तेमाल के कारण हाल ही में उन्हें विधानसभा सत्र के दौरान एक प्रस्ताव को पारित करके विधानसभा से फाटक बाहर किया गया था।