नई दिल्ली। बीजेपी आलाकमान राजस्थान में टिकट घोषित नहीं कर पा रहा है। जबकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पहली सूची जारी कर दी। लेकिन राजस्थान में बीजेपी आलाकमान को सूची जारी करने में पसीने छूट रहे हैं। जबकि तमाम सर्वे में बीजेपी राजस्थान में बढ़त बनाए हुए है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी आलकमान को बगावत का डर है। वसुंधरा राजे कैंप के नेता टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर सकते हैं। रणनीति के तहत पार्टी टिकट घोषित नहीं कर रही है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी करीब 30-40 सीटों पर बीजेपी कमजोर है। कई सीटें तो ऐसी है जहां बीजेपी कभी चुनाव ही नहीं जीत पाई है। जबकि कई सीटें ऐसी है जहां से बीजेपी लगातार हार रही है।
राजस्थान में वसुंधरा राजे इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है। पीएम मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती विभिन्न धड़ों के साधने की है। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के नेता ही हैं। बीजेपी के लिए राजस्थान में अपने नेताओं को साथ करना और एकजुट होकर चुनाव लड़ना एक बड़ा टास्क है। राज्य में जिस तरह बीजेपी नेताओं के अलग-अलग ग्रुप बने हैं।
सब खुद को सीएम पद का दावेदार मानते हुए कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी सीएम उम्मीदवार का ऐलान कर दे। इसे देखते हुए विधानसभा चुनाव की कमान बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने अपने हाथ में ही रखी है। यहां तक कि राज्य में अगले महीने निकलने वाली परिवर्तन यात्रा को भी केंद्र के नेता ही हरी झंडी दिखा रहे हैं। परिवर्तन यात्रा के लिए कोई एक चेहरा आगे नहीं किया गया है।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी पुराने चेहरों को टिकट नहीं देना चाहती है। अधिकांश पुराने चेहरे वसुंधरा राजे समर्थक माने जाते हैं। ऐसे में पार्टी आलाकमान को बगावत का डर सता रहा है। क्योंकि वसुंधरा राजे समर्थक नेताओं ने साफ कह दिया है कि टिकट नहीं मिलने के बावजूद भी चुनाव लड़ेंगे। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने साफ कह दिया है कि वह पार्टी आलाकमान से टिकट देने का अनुरोध नहीं करेंगे। जनता की सहमति से चुनाव लड़ेंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि आलाकमान वसुंधरा राजे समर्थक माने जाने वाले उम्रदराज नेताओं की जगह युवाओं का टिकट देना चाहता है। लेकिन वसुंधरा राजे समर्थकों को यह स्वीकार नहीं है।
परिवर्तन यात्रा के बाद टिकट होंगे फाइनल
टिकट देने से पहले बीजेपी प्रदेश के चारों दिशाओं से 2 सितंबर से परिवर्तन रैली का आगाज करेगी। खास बात यह है कि परिवर्तन रैली का मुख्य चेहरा इस बार वसुंधरा राजे नहीं है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह यात्राओं का आगाज करेंगे। 2 सितंबर से परिवर्तन यात्राएं शुरू होंगी। चार अलग-अलग स्थानों और दिशाओं से सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों तक ये यात्राएं पहुंचेंगी। इस दौरान साढे आठ हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय किया जाएगा। इन यात्राओं में किसान चौपाल, युवा मोटरसाइकिल रैली, महिलाओं की बैठक और दलित चौपालें भी आयोजित होंगी। माना जा रहा है कि रैली के बाद ही टिकट फाइनल होंगे।