बच्चों को बचाना है तो बंद करनी होंगी कोचिंग की दुकानें

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व्यापारी नेता बने कुछ हॉस्टल संचालक उनकी करतूतें मीडिया में उजागर होने से तिलमिलाये हुए हैंसांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि लालचियों ने कोटा को कोचिंग की सबसे बड़ी ‘कोचिंग मंडी’ बना दिया है। अगर कोटा में कोचिंग के बच्चों को मौत को रोकना है तो कोचिंग के नाम पर चल रही यह दुकानें और हॉस्टल बंद होनी चाहिए।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
Coaching students suicide case: राजस्थान में कथित रूप से कोचिंग सिटी होने का दम भरने वाले कोटा में कोचिंग छात्रों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं के बीच प्रशासन तो कुछ नहीं कर पा रहा है। लेकिन जागरूक लोग जिनमें निर्वाचित जनप्रतिनिधि और प्रबुद्ध वर्ग के लोग भी शामिल हैं, वे कोचिंग के इस धंधे के खिलाफ अब अपने स्वर मुखर करने लगे हैं। क्योंकि आत्महत्या की घटनाएं घटने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही हैं।

हालांकि हाल ही में जब एक चिकित्सक ने कुछ कोचिंग मालिकों, हॉस्टल-मैस संचालकों की करतूतों की सच्चाई को उजागर किया तो भाजपा के कार्यकर्ता की हैसियत रखने वाले कुछ व्यापारी नेता बनकर घूम रहे हॉस्टल मालिक बिलबिला गए और उस चिकित्सक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए दबाव बनाने के लिए एक पुलिस अधिकारी के पास पहुंच गए।

बहरहाल इस बीच कोटा में कोचिंग छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाओं से चिंतित कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहे भरत सिंह कुंदनपुर ने तो स्पष्ट शब्दों में कहा है कि कोचिंग संस्थानों को बंद कर देना चाहिए। क्योंकि अब यह वक्त आ गया है जब यह दुकानें बंद हो जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कोटा देश में कोचिंग की सबसे बड़ी मंडी है और यहां कोचिंग को शिक्षा के नहीं बल्कि कारोबार के रूप में लिया जा रहा है।

कुछ लोग हर साल करोड़ों रुपए का कारोबार कोचिंग के नाम पर कर रहे हैं। इसके लाभ का बंटवारा बहुत सारे लोग मिलकर कर रहे हैं, जो समय-समय पर इन कोचिंग संस्थानों के संरक्षक भी बन जाते हैं। हॉस्टल संचालक चांदी कूट रहे हैं। नियम-कायदों को ताक में रखकर कोचिंग संस्थानों के संचालन कर रहे कुछ मालिकों की अनैतिक,नियम विरोधी गतिविधियों से किसी को कोई लेना-देना नहीं है। सबका अपना-अपना ऎजेंडा है और सब मिलकर अपना-अपना हिस्सा बराबरी से बांट रहे हैं।

श्री भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजे एक पत्र में कहा है कि कोटा में जो छात्र कोचिंग करने के लिए आते हैं, उनमें से कुछ इतने दुर्भाग्यशाली होते हैं कि यहां रहकर मिले तनाव से मुक्ति पाने के लिए मौत को अपने गले लगा लेते हैं। बाद में यहां से उनका शव ही वापस लौटता हैं।

श्री भरत सिंह ने मुख्यमंत्री से पूछा-” क्या कोचिंग संस्थानों को बंद कर दिया जाना चाहिए? आप क्या सोचते हैं, मुझे पता नहीं मगर मेरा यह स्पष्ट मत है कि बहुत हो गया। अब यह दुकानें बंद कर देनी चाहिए।” श्री भरत सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कोटा देश की सबसे बड़ी कोचिंग मंडी है। इस मंडी में करोड़ों का कारोबार हर साल होता है।

इस धंधे का लाभ सभी प्राप्त कर रहे हैं। बड़ी संख्या में हॉस्टल संचालक नियम, कानून-कायदों को ताक में रख कर इस धंधे में शेयर होल्डर बनकर अपना-अपना हिस्सा हासिल कर रहे हैं। अधिकारी इस शहर में बच्चों को पढ़ाने के हिसाब से अपनी पोस्टिंग कोटा में करवाते हैं तो जिम्मेदार होते हुए भी ये अधिकारी इन कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कभी कोई कार्यवाही करने के बारे में सोचते तक नहीं है।

श्री भरत सिंह ने कहा कि-” तनाव के साए में कोचिंग छात्रों का आत्महत्या करना एक सामान्य मामला बन गया है। एक दिन खबर छपती है और अगले दिन तक कुछ शांत हो जाता है। सवाल यह उठता है कि इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए? जवाब सीधा सा है कि कोटा में कोचिंग के विस्तार को रोका जाना चाहिए। जिस कोचिंग संस्थान का बच्चा आत्महत्या करता है, उस पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया जाए और जुर्माने की यह राशि मृत छात्र के परिवारों को प्रदान की जाए।

नियम विरुद्ध कोटा शहर में बनाए गए हॉस्टलों को बंद किया जाना चाहिए। जो हॉस्टल नियमों का उल्लंघन करके बनाए गए हैं, तो इन्हें बंद क्यों नहीं किया जाता?” उल्लेखनीय है कि झालावाड रोड पर इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र उद्योग-धंधों के लिए स्थापित किया था और वहां कई कल-कारखाने मौजूद भी थे, लेकिन कोटा के कोचिंग संस्थान मालिकों, व्यापारियों-कारोबारियों के लालच में कल-कारखाने बंद कर उनकी जगह कोचिंग संस्थान को व्यापारी नेताओं ने हॉस्टल, मैस, होटल बना कर उद्योगों को लगभग बंद कर दिया।

इन हॉस्टल-मैस संचालकों में ज्यादातर भागीदारी व्यापारी नेताओं की ही है जो अपने लालच में कोचिंग छात्रों की मृत्यु की घटनाओं से विचलित हुए बिना अपने कारोबार में लिप्त रहते हैं और उन्हें वह हर व्यक्ति-संगठन अपने विरूद्ध नजर आता है, जो कोचिंग संस्थानों-हॉस्टल संचालकों की मनमानी का विरोध करता है। झालावाड़ रोड पर इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र में ज्यादातर कोचिंग संस्थान, हॉस्टल बिना भूमि रूपान्तरण के चल रहे हैं।

कोटा के एक चिकित्सक ने एक टॉक शो में जब हॉस्टल-होटल मालिकों को सच्चाई का आयना दिखाते हुए कोचिंग छात्रों के शोषण के संबंध में गंभीर आरोप लगाए और हॉस्टल मालिकों की गतिविधियों की सच्चाई को उजागर किया तो कोटा के व्यापारी नेता बिलबिला गए और उनका एक प्रतिनिधि मंडल पुलिस अधिकारियों के पास पहुंच गया। एक परिवाद पेश करके चिकित्सक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग करने लगा।

यह व्यापारी नेता एकजुट ह़़ोकर हमेशा अपने आर्थिक लाभों के लिए पूर्व में भी जिला प्रशासन पर दबाव बनाते रहे हैं और इस बार भी कुछ हॉस्टल संचालकों के काले कारनामों की सच्चाई सामने पेश करने वाले चिकित्सक के खिलाफ यह दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि कुछ कोचिंग संस्थानों-हॉस्टल संचालकों की वजह से कोटा का नाम यश की जगह अपयश की तरफ़ लगातार बढ़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में कोटा का नाम सुसाइड सिटी के रूप में दर्ज किया जा रहा है, जो यहां के मूल बाशिंदों के लिए चिंता का विषय है।

प्रशासन को इन कुछ स्वार्थी व्यापारी नेताओं के दबाव में आने के बजाय छात्रों के साथ मनमाना व्यवहार करने वाले हॉस्टल संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही उन होटल-मैस और हॉस्टल मालिकों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए, जिन्होंने इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों के लिए रियायती दरों पर आवंटित किए गए भूखंडों पर अब कल-कारखानों की जगह अपने हॉस्टल-होटल स्थापित कर दिए हैं।