वसुंधरा राजे चुनावों तक भाजपा की हर रणनीति में मुख्य किरदार होंगी

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जयपुर। राजस्थान में चुनाव से पहले पीएम मोदी ने बीजेपी सांसदों के साथ दिल्ली में मीटिंग कर जीत का मंत्र दिया और रणनीति पर चर्चा की। मीटिंग में प्रदेश के सभी सासंद मौजूद रहे। लेकिन वसुंधरा राजे और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी के सियासी जानकार अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे है। बीजेपी राजस्थान चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ रही है।

ऐसे में राजस्थान की चुनावी कमान अपने हाथ में लेने के बाद पीएम मोदी ने 8 अगस्त को प्रदेश के सांसदों को दिल्ली बुलाया था। गुजरात भवन में हुई मीटिंग में वसुंधरा राजे को सांसद न होते हुए भी पीएम मोदी ने विशेष तौर पर बुलाया था। कहा तो यह जा रहा है कि वसुंधरा राजे के राजनीतिक अनुभव का लाभ लेने के लिए पीएम ने मीटिंग में बुलाया।

लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे की नाराजगी दूर करने के लिए मीटिंग में बुलाया गया। सीएम फेस नहीं बनाए जाने से वसुंधरा राजे समर्थक नाराज बताए जा रहे हैं। यहीं नहीं वसुंधरा राजे ने 1 अगस्त को पार्टी के प्रदर्शन से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर दी।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे को पिछले साढ़े चार साल से कोई विशेष भूमिका नहीं दी हुई थी, लेकिन राजस्थान के चुनावों की गणित और समीकरण जानने वाली वे सबसे अनुभवी नेता हैं। राजस्थान की बड़े वोट बैंक पर पकड़ मजबूद मानी जाती है। मीटिंग में शामिल करने के राजनीतिक मायने भी यही है कि वे अब चुनावों तक भाजपा की हर रणनीति में मुख्य किरदार की तरह होंगी।

पीएम मोदी द्वारा उन्हें वेटेज देने का मतलब इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि राजस्थान के चुनावों को मोदी स्वयं बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। वसुंधरा राजे दो बार प्रदेश की सीएम रही हैं और जब भी वे कोई सभा करती हैं तो भीड़ जुटाना उनके लिए कोई मुश्किल नहीं होता। ऐसे में राजस्थान भर में प्रचार करने के लिए मोदी के बाद कुछ और कद्दावर नेताओं की भी पार्टी को जरूरत है।

वसुंधरा राजे समर्थकों का कहना है कि पांच बार की सांसद, पूर्व सीएम, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कई बार विधायक चुनी गई वसुंधरा राजे की अनदेखी करना ठीक नहीं है। पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वसुंधरा राजे समर्थकों को कहना है कि वसुंधरा राजे को दो बार सीएम फेस घोषित किया। परिणाम सामने है।

बीजेपी को बंपर जीत मिली थी। लेकिन इस बार पार्टी आलाकमान ने वसुंधरा राजे पर विश्वास नहीं जताकर गुटबाजी को बढ़ावा दिया है। वसुंधरा राजे समर्थक और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी खुलकर वसुंधरा राजे को सीएम फेस घोषित करने की मांग कर चुके हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी ने वसुंधरा राजे को मीटिंग में बुलाकर यह मैसेज देने की कोशिश की है कि पार्टी उनकी अनदेखी नहीं कर रही है।

वैष्णव को सौंपी जा सकती है जिम्मेदारी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव राजस्थान के रहने वाले हैं। ऐसे में उनका राजस्थान से जुड़ा होना राजस्थान के चुनावों में भाजपा के लिए मजबूत पक्ष है। रेलमंत्री वैष्णव ओबीसी वर्ग से आते हैं। ओबीसी राजस्थान में सबसे बड़ा वोट बैंक है। इस वर्ग की आबादी राजस्थान में करीब 55-60 प्रतिशत बताई जाती है। वे रिटायर्ड आईएएस हैं और इंजीनियर भी।वे राजस्थान से सांसद नहीं हैं, फिर भी उन्हें मोदी की मीटिंग में शामिल किया गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि वैष्णव के जरिए भाजपा उनके जरिए एक बड़े वोट बैंक को भी साध रही है। साथ ही रेलवे के जरिए मोदी सरकार अपना संदेश लोगों तक पहुंचाना चाहती है कि वंदे भारत जैसी लोकप्रिय रेलगाड़ियां उसकी देन है।