Kharif Crops: सोयाबीन, धान का रकबा बढ़ा; अरहर, मूंगफली एवं कपास का घटा

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नई दिल्ली। Kharif Crops: इस सप्ताह खरीफ फसलों की बोआई पिछड़ गई। खरीफ फसलों की बोआई में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, जबकि पिछले सप्ताह तक इन फसलों का रकबा बढ़ा था। दलहन फसलों की बोआई कम होने के कारण बोआई पिछड़ रही है।

इस सप्ताह तक दलहन फसलों का रकबा करीब 11 फीसदी घटा है। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान के रकबा में बढोतरी दर्ज की गई। मोटे अनाज, तिलहन और गन्ने का रकबा भी बढ़ा है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 28 जुलाई को समाप्त सप्ताह तक 830.31 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि के 832.82 लाख हेक्टेयर से 0.30 फीसदी कम है। खरीफ सीजन की सबसे बड़ी फसल धान 237.58 लाख हेक्टेयर में बोई जा चुकी है, पिछली समान अवधि में यह आंकड़ा 233.25 लाख हेक्टेयर था। इस तरह धान की बोआई में करीब 2 फीसदी इजाफा हुआ है। गन्ने का रकबा 2.7 फीसदी बढ़कर 56 लाख हेक्टेयर,जबकि कपास का रकबा एक फीसदी गिरकर 116.75 लाख हेक्टेयर रहा।

इस सप्ताह तक 96.84 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि की बोआई 109.15 लाख हेक्टेयर से 11.3 फीसदी कम है। अरहर का रकबा 16 फीसदी घटकर 31.51 लाख हेक्टेयर, मूंग का रकबा 7.2 फीसदी घटकर 27.64 लाख हेक्टेयर और उड़द का रकबा 14.1 फीसदी घटकर 25.83 लाख हेक्टेयर रहा।

तिलहन फसलों की बोआई में इजाफा
इस सप्ताह तिलहन फसलों की बोआई ज्यादा हुई। 28 जुलाई तक 171.02 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि की 167.61 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से 2 फीसदी अधिक है। खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन का रकबा 3.7 फीसदी बढ़कर 119.91 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया। तिल की बोआई भी मामूली बढ़कर 10.7 लाख हेक्टेयर रही। हालांकि खरीफ सीजन की दूसरी प्रमुख तिलहन फसल मूंगफली का रकबा 2.6 फीसदी घटकर 37.58 लाख हेक्टेयर रह गया।

मोटे अनाजों का रकबा 1.6 फीसदी बढ़ा
चालू खरीफ सीजन में अब तक 145.76 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि में 143.48 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से 1.6 फीसदी अधिक है। बाजरा का रकबा 4.3 फीसदी बढ़कर 60.60 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया। मक्का की बोआई 0.6 फीसदी बढ़कर 69.36 लाख हेक्टेयर और ज्वार की बोआई भी मामूली बढ़कर 10.58 लाख हेक्टयर रही। रागी का रकबा 19.5 फीसदी घटकर 2.48 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया।