नई दिल्ली। देश के केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति को चार फीसदी के लक्ष्य तक पहुंचाने का प्रयास करेगा। हालांकि, उन्होंने अल-नीनो को अपने प्रयासों के लिए एक चुनौती माना।
एक विशेष साक्षात्कार में दास ने भरोसा जताया कि अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024 में 6.5 फीसदी की दर से वृद्धि करेगी, जैसाकि आरबीआई ने पहले अनुमान लगाया था। दास ने कहा कि पिछले साल मई से आरबीआई की दर में 2.50 फीसदी की वृद्धि और सरकार के आपूर्ति-पक्ष उपायों से पिछले साल अप्रैल की 7.8 फीसदी की महंगाई को 4.25 तक लाने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा, ‘हम महंगाई के मोर्चे पर लगातार सतर्क हैं। हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 में मुद्रास्फीति 5.1 फीसदी रहेगी और हम इसे घटाकर 4 फीसदी पर लाने का प्रयास जारी रखेंगे।’
उच्च उधारी लागत को लेकर दास ने कहा कि कर्ज पर ब्याज दरों का महंगाई से सीधा संबंध हो सकता है और अगर महंगाई में टिकाऊ आधार पर नरमी आती है तो लोग कर्ज पर कम ब्याज दर की उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने समझाया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि हुई जिससे महंगाई में वृद्धि हुई।
हालांकि, उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें अब महंगाई के दृष्टिकोण से चिंता का विषय नहीं हैं, क्योंकि वे 76-76 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ गए हैं। दास ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में भी कमी आई है और भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूं और चावल का स्टॉक जारी करने जैसे उपायों से भी मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि कुछ उत्पादों पर शुल्कों में लक्षित कटौती से भी मदद मिली है। महंगाई के मोर्चे पर चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर दास ने भू-राजनीति के कारण अस्थिर अंतरराष्ट्रीय स्थिति और घरेलू स्तर पर मानसून की स्थिति जैसे कारकों की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, ‘सामान्य मानसून की उम्मीद है, लेकिन अल नीनो को लेकर चिंताएं हैं। हमें देखना होगा कि यह कितना गंभीर है। अन्य चुनौतियां मुख्य रूप से मौसम से संबंधित घटनाएं हैं, जिनका खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ सकता है। हमें इन अनिश्चितताओं से जूझना होगा।’
अर्थव्यवस्था की वृद्धि के मोर्चे पर दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.5 फीसदी की वृद्धि के अपने अनुमान पर पहुंचने से पहले सभी कारकों को ध्यान में रखा है और उसे भरोसा है कि अर्थव्यवस्था इस लक्ष्य को हासिल कर लेगी।
उन्होंने कहा कि करीब 16 फीसदी की बैंक ऋण वृद्धि टिकाऊ है और रिजर्व बैंक इस मोर्चे पर घटनाक्रमों पर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि कंपनियों की ओर से भी कर्ज की काफी मांग है, जिसमें परियोजना ऋण भी शामिल है।
फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों असर
दास ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2023 में रुपये में कम उतार-चढ़ाव रहा है और डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा मजबूत हुई है। दास ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है तो भी रुपये पर असर नहीं पड़ेगा। गवर्नर ने कहा कि चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2024 में ‘पूरी तरह से प्रबंधनीय’ होगा, क्योंकि उच्च सेवा निर्यात और कच्चे तेल की कम कीमतें हमारे पक्ष में काम कर रही हैं।