16 हजार फर्जी जीएसटी पंजीकरण, 30 हजार कराेड़ की टैक्स चोरी पकड़ी

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नई दिल्ली। फर्जी कंपनी बनाकर उनके जीएसटी पंजीकरण के जरिये सरकार को 30 हजार कराेड़ रुपये की चपत लगा दी गई। यह चौंकाने वाला खुलासा पिछले एक माह से चल रहे विशेष जांच अभियान में हुआ। फर्जीवाड़े का यह रैकेट देश के 16 राज्यों में चल रहा था, जिससे जुड़े 16 हजार फर्जी जीएसटी पंजीकरण जांच में सामने आए हैं। करीब पांच हजार मुखौटा कंपनियों की पहचान की गई है।

इस रैकेट ने पीएम किसान, ग्रामीण रोजगार योजना व अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थियों का डाटा चोरी कर पहले जीएसटी पंजीकरण कराया और फिर बोगस कारोबार और फर्जी बिलों के जरिये जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट का बेजा फायदा उठाकर कर चोरी को अंजाम दिया। जांच में पैन और आधार कार्ड के जरिये 18 हजार घपलों का भी पता चला है।

सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी का पता लगाने के लिए 16 मई से दो माह का विशेष अभियान शुरू किया है। इसमें आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय व कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय समेत अन्य एजेंसियां शामिल हैं। इसके तहत पहले सप्ताह में ही 10,000 फर्जी पंजीकरण का पता चला था।

आईटीसी फ्रॉड
इन कंपनियों का इस्तेमाल नकली बिल बनाने के लिए किया जाता था, जिन्हें बाद में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए विभिन्न कंपनियों को बेच दिया जाता था। इन मामलों में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। देशभर में कुल 4,909 कारोबारी प्रतिष्ठान संदिग्ध पाए गए। इनमें दिल्ली के सर्वाधिक 1,888, उत्तर प्रदेश के 831, हरियाणा के 474, तमिलनाडु के 210, महाराष्ट्र के 201, तेलंगाना के 167 और मध्य प्रदेश के 139 प्रतिष्ठान शामिल हैं।

एमपी में 8,100 करोड़ की जीएसटी चोरी
मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश कुमार जाटव ने बुधवार को बताया, फर्जी कारोबारी प्रतिष्ठानों के देशभर में फैले नेटवर्क के जरिये 8,100 करोड़ रुपये से ज्यादा की माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी के सुराग मिले हैं। जाटव ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान जीएसटी के रिटर्न में करीब 29,000 करोड़ रुपये का कारोबार दिखाया गया और जांच में 8,103 करोड़ रुपये की कर चोरी के सुराग मिले हैं।

जीएसटी अधीक्षक सहित पांच को रिश्वत लेते पकड़ा
मध्य प्रदेश के जबलपुर में करीब दस घंटे की कार्रवाई में सीबीआई ने जीएसटी अधीक्षक समेत पांच लोगों को हिरासत में लिया। ये सभी सात लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए। दफ्तर के अलावा इन आरोपियों के घरों में छापे मारे गए, जहां से करीब 83 लाख नकद भी बरामद हुए।