कोटा। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित संवेदना सेवा समिति के संरक्षक डॉ.आरसी साहनी ने कहा कि नशा समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय होना चाहिए। इससे लड़ने के लिए नवाचार तरीकों से नए सिरे से रणनीति बना कर पराजित करना होगा। कहीं एसा न हो कि ज्यों ज्यों इलाज किया मर्ज बढ़ता गया।
बुधवार को वेस्ट सेंट्रल एम्पलाईज यूनियन के सभागार में रेलवे के कर्मचारियों को डाॅ. साहनी ने संबोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि नई पीढ़ी को खेल खेल में नशा विरोधी जानकारियों को दिल की गहराईयों तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने वंडर गेम्स भी यूनियन को उपलब्ध कराए। तमाम कोशिशों के बावजूद तम्बाकू उपयोगकर्ताओं की संख्या में 30 प्रतिशत वृद्धि बहुत ही चिंताजनक है।
इस अवसर पर यूनियन के अध्यक्ष मुकेश गालव ने कहा कि समाज में इस बुराई को मिटाने के के लिए रूचिकर खेलों के माध्यम से मनोवैज्ञानिक तरीकों से बच्चों के मनोमस्तिष्क पर नशे के दुष्परिणामों को अंकित करने में ही सफलता है।
पर्यावरणविद् बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि तम्बाकू, गुटखा के सेवन से जहां लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ता है वहीं इनकी प्लास्टिक की पैकिंग से जल स्त्रोत और हमारी नदियां प्रदूषित हो रहीं है। सरकारों को प्रतिबंधों की पालना सख्ती से करानी चाहिए, क्योंकि नशे का अपराध से गहरा नाता है।
यूनियन की राष्ट्रीय पदाधिकारी चम्पा वर्मा ने कहा कि युवाओं को बुरी सत्संग ही तम्बाकू सिगरेट, गुटखा, शराब आदि नशे की और अग्रसर करती है। तम्बाकू न खुद इस्तेमाल करें और न ही किसी दूसरे को करने दें। समिति की चीफ काउंसलर अंकिता अग्रवाल ने बताया कि पखवाड़े के तहत सैना के जवानों, आरएसी के जवानों तथा नर्सिंग छात्र-छात्राओं और बच्चों के बीच नशा मुक्ति का संदेश दिया गया।