कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने उज़्बेकिस्तान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में किया सम्बोधित
कोटा। कोटा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह गुरुवार को उज़्बेकिस्तान के “सिल्क रोड” अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत विश्वविद्यालय में आयोजित हो रही अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई। वाणिज्य एवं प्रबन्धन विभाग की अध्यक्ष डॉ. अनुकृति शर्मा भी वक्ता के रुप में उपस्थित रही।
इस दौरान प्रो. सिंह ने कहा कि सिल्क रोड हजारों वर्षों से अस्तित्व में है। यह हमारे समृद्ध और साझा संस्कृति का द्योतक है। जो पूरब और पश्चिम को परस्पर जोड़ता था। उन्होंने कहा कि पूरे इतिहास में कई अलग- अलग साम्राज्यों और कालखंड से गुजरते हुए यूरोप, एशिया और अफ्रीका में संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं और भौतिक वस्तुओं का परिवहन करते हुए परस्पर जोड़ता रहा है। आज फिर से इस सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करने की जरुरत है।
प्रो. सिंह ने कहा कि भारत इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। आज इस ऐतिहासिक भूमि और समुद्री रेशम मार्गों से जुड़े कईं देश अपनी संस्कृति, परंपराओं और रीति-रिवाजों के प्रभाव के साक्षी बन रहे हैं। जिससे पर्यटन में भी वृद्धि हो रही है।
कॉन्फ्रेंस में वक्ता के रूप में शामिल वाणिज्य एवं प्रबन्धन विभाग की अध्यक्ष डॉ. अनुकृति शर्मा ने कहा कि हाल ही में कोविड़-19 महामारी के कारण विश्व आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। इनका सामना केवल नवाचार, लचीलेपन और तकनीकी प्रगति से किया जा सकता है।
उपयुक्त बुनियादी ढाँचे, समावेशी और सतत औद्योगिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की उन्नति के माध्यम से ही दुनिया को आर्थिक विकास का मौका मिलेगा। रेशम मार्ग प्राचीन दुनिया के वैश्वीकरण में सबसे महत्वपूर्ण मार्ग रहा है। जो फिर से दुनिया की आर्थिक प्रगति और पर्यटन संभावनाओं के द्वार खोल सकता है। रेशम मार्ग ने व्यापार के साथ ही पूर्वी और पश्चिमी संस्कृतियों के बीच सेतु के रूप में भी कार्य कर सकता है।
कांफ्रेंस 10 से 13 मई तक उज़्बेकिस्तान के “सिल्क रोड” अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत विश्वविद्यालय में आयोजित हो रही है। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य इतिहास, पुरातत्व, सांस्कृतिक विरासत, सिल्क रोड से जुड़े पर्यटन, प्राचीन सिल्क रोड के लोगों के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को जीवंत करने पर विचार करना है।