25 करोड़ रुपये से कम ईटीएफ यूनिट की खरीद-बिक्री स्टॉक एक्सचेंज में

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नई दिल्ली। अब 25 करोड़ रुपये से कम एक्सचेंज ट्रेड फंड (ETF) यूनिट की खरीद-बिक्री अनिवार्य तौर पर स्टॉक एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर ही होगी। दो बार टलने के बाद नया नियम मंगलवार से प्रभावी होने जा रहा है। नए नियम का लक्ष्य नकदी में मजबूती और ट्रैकिंग की गलतियां घटाना है।

अभी ज्यादातर संस्थागत निवेशक ईटीएफ की खरीद व उससे निवेश​ निकासी सीधे परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के जरिये करते हैं। ईटीएफ एक तरह की पैसिव योजनाएं हैं, जो खास बेंचमार्क मसलन निफ्टी-50 इंडेक्स को ट्रैक करती है। प्रत्यक्ष तौर पर न्यूनतम लेनदेन की सीमा एक एएमसी से दूसरी एएमसी की अलग-अलग होती है और सेबी की तरफ से अभी तय सीमा से काफी कम का इस्तेमाल किया जाता है।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मूल रूप से पिछले साल ‘डेवलपमेंट ऑफ पैसिव फंड्स’ के संबंध में एक परिपत्र के रूप में इस कदम की घोषणा की थी। हालांकि​ इस परिपत्र के अधिकांश प्रावधान पहले ही लागू हो चुके हैं, लेकिन स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर ईटीएफ की खरीद और बिक्री के संबंध में नियम को दो बार बढ़ाया जा चुका है, एक बार 1 जुलाई, 2022 को और दूसरी बार 1 नवंबर, 2022 को।

उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि यह देरी ज्यादातर इस वजह से हुई क्योंकि भविष्य निधि ट्रस्टों और अन्य संस्थानों जैसे कुछ निवेशकों की एक्सचेंजों के जरिये सौदे शुरू करने की तैयारी नहीं थी। एएमसी के अधिकारियों के अनुसार ऐसे कई निवेशकों के पास एक्सचेंजों के साथ सौदे करने के लिए कारोबारी खाते खोलने के लिए आवश्यक निर्देश नहीं था।

बेहतर मूल्य के लिए एएमसी को ईटीएफ कारोबार के लिए बाजार तैयार करने वालों को नियुक्त करना होगा। सेबी ने बाजार बनाने के मानदंडों को भी आसान कर दिया है। शुद्ध निपटान की अनुमति दी गई है, जिससे इस प्रक्रिया के लिए पूंजी की गहनता कम हो जाएगी तथा और ज्यादा भागीदारों को बाजार तैयार करने वालों के रूप में कार्य करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

पैसिव सिस्टम के विकास के लिए घोषित अन्य पहलों में पैसिव डेट फंड की तीन नई श्रेणियों की शुरुआत, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम या ईएलएसएस के लिए पैसिव में नई श्रेणी का निर्माण शामिल है। इसके अलावा सेबी ने डेट ईटीएफ के लिए न्यूनतम सदस्यता राशि घटाकर मात्र 10 करोड़ रुपये और अन्य ईटीएफ के लिए पांच करोड़ रुपये कर दी है।

इससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि नियामकों ने ईटीएफ एनएफओ के लिए एक विकल्प पेश किया है, जिससे परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी यूनिट निर्माण के लिए शुरुआती फंड में योगदान कर सकती है। यह एएमसी बाद में इन यूनिटों को बाजार बनाने वालों या निवेशकों को ट्रांसफर कर सकती है।