चुनावी रंग में हैं राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महंगाई राहत शिविरों के जरिए अपनी सरकार को दोबारा दोहराने की इच्छा शक्ति के साथ मैदान में हैं और जिस तरह से सोमवार से सरकार की ओर से दी जा रही छूट को पाने के लिए पूरे राज्य भर में जितने बड़े पैमाने पर लोग उमड़ना शुरू हुए, उसे देखते हुए फिलहाल तो अशोक गहलोत की नीतियां जनता को भाती हुई नजर आ रही है।

हालांकि इसका इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव तक कितना असर रहता है,यह देखने वाली बात है लेकिन पहली बार ऎसा हुआ है कि किसी कांग्रेस सरकार ने जनता का चुनावी सरगर्मी का दौर शुरू होने से पहले तक ऐसी कोशिश की है कि वह सरकारी योजनाओं के जरिए जनता को अधिक से अधिक रिझाने में कामयाब हो।

इसीलिए सोमवार से पूरे राजस्थान में लगाए जा रहे महंगाई राहत शिविरों के जरिए दीर्घकालीन योजना तैयार की है ताकि, आने वाले कई दिनों तक जनता को इन शिविरों में आमंत्रित कर सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करते हुए उन्हें एक मतदाता के रूप में इस बात का भी एहसास करवाने की कोशिश करेगी कि उनकी नीतियां जनता के हित में है।

भविष्य में भी यदि प्रदेश में एक बार फिर से कांग्रेस की सरकार बनती है तो राज्य की कांग्रेस सरकार ऐसी ही जन हितैषी और कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखने की भरसक कोशिश करेगी।

इतना तो तय है कि राज्य सरकार ने विधानसभा में पेश किए बजट के जरिए प्रदेश के करोड़ों मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है और अपनी इन घोषणाओं को उन्होंने विधानसभा सत्र तक ही सीमित रखे जाने के बजाय महंगाई राहत शिविर जैसे आयोजन करके लंबे समय तक उन्हें जनता को याद दिलाने की कोशिश की जा रही है। निश्चित रूप से इसका कहीं ना कहीं लाभ अशोक गहलोत सरकार और कांग्रेस पार्टी को मिलना तय है।

एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में अपने नेतृत्व के चेहरे बदल कर और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पदों पर नेताओं को आसीन करने की रणनीति अपनाए हुए है तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार लोक लुभावनी बजट घोषणाओं के जरिए आम जनता में अपनी पैठ बनाने की भरपूर कोशिश कर रही है।

राज्य सरकार पूरी तरह से चुनावी रंग में हैं। वर्ष 2021 में प्रशासन शहरों के संग अभियान में ज्यादा से ज्यादा पट्टे देने के लिए धारा-69 ए को जादुई बताने वाली अशोक गहलोत सरकार अब महंगाई के मुद्दे पर जनता को महंगाई राहत शिविर के माध्यम से अपने साथ खड़ा कर दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करने के मूड में नजर आ रही है। इसको ध्यान में रखकर ही राज्य सरकार पहली बार बजट घोषणाओं को घर-घर तक पहुंचाने की कोशिश करने में लगी हुई है।

राजनीतिक हलकों में राज्य सरकार के इस फैसले को भी ‘मास्टर स्ट्रोक’ के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि इन शिविरों के जरिए राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं सीधे घरों तक पहुंचेगी और लंबे समय तक लोगों को याद दिलाती रहने वाली है कि किस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार ने उन्हें बढ़ती हुई महंगाई से राहत दिलाने की चेष्टा की है।

सरकार के इस फैसले का असर सोमवार से ही नजर आता दिखाई दिया, जब पहले ही दिन आयोजित हुए शिविरों में सरकार की छूट पाने के लिए पूरे प्रदेश भर में जनता लंबी-लंबी कतारें लगाए खड़ी नजर आई। इन शिविरों में यह महसूस किया गया कि सरकारी छूट पाने के लिए लोग बड़ी संख्या में कतारों में खड़े होकर इंतजार करते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

हालांकि कई जगह से भी शिकायतें मिलती रही है कि प्रशासन की ओर से आयोजित शिविरों में कहीं ना कहीं कुछ कमियां रह गई, जिनके चलते जनता में नाराजगी भी देखने को मिली। जैसे कई जगह शिविरों में दोपहर होते-होते टोकन खत्म हो गए तो लोगों ने इसके प्रति अपनी नाराजगी जताई। प्रदेश में कई स्थानों से टोकन ना मिलने के कारण हंगामे की स्थिति बनी, लेकिन कुल मिलाकर के यह महंगाई राहत शिविर जनता को राहत देते हुए नजर आ रहे हैं।

निश्चित रूप से इसका सकारात्मक असर आने वाले समय में सरकार के पक्ष में दिखाई देगा और इसी की आस में अशोक गहलोत सरकार ने पूरे प्रदेश में इस तरह के शिविरों का आयोजन किया है।