रिटेलरों, शॉपिंग मॉल्स को दिसंबर तक देना होगा बंपर डिस्काउंट

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मुंबई। रिटेल चेन और शॉपिंग मॉल इस बार दिसंबर में ‘ईयर एंड’ सेल की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान ब्रैंडेड कपड़ों, गैजेट्स, किचन अप्लायंसेज और खिलौनों पर 50 पर्सेंट तक डिस्काउंट दिया जा सकता है। ऐसा जीएसटी के कारण होगा।

समस्या यह है कि पहली जुलाई से पहले खरीदे गए माल की अगर रसीदें नहीं होंगी तो उन पर चुकाए गए टैक्स के लिए छह महीने के बाद ट्रांजिशनल क्रेडिट सुविधा नहीं मिलेगी।

इसका अर्थ यह है कि जिन रिटेलरों के पास ऐसा स्टॉक होगा, वे पहली जुलाई से पहले खरीदे गए माल पर चुकाए गए सेल्स, एक्साइज आदि टैक्सेज को 31 दिसंबर के बाद इन वस्तुओं को बेचने पर बनने वाली जीएसटी लायबिलिटी से अजस्ट नहीं कर सकेंगे।

एक बड़े शॉपिंग मॉल के सीईओ ने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि जीएसटी से पहले वाला स्टॉक दिवाली में बिक जाएगा, लेकिन इस बार बिक्री कमजोर रही। अगर दिसंबर से पहले यह माल नहीं बिका तो हम फंस जाएंगे।’

मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि ग्राहकों को इस साल ‘मेगा स्टॉक क्लियरेंस’ सेल का मौका मिल सकता है, जिसमें रिटेलर्स हो सकता है कि असल लागत या मामूली मार्जिन पर सामान बेचें।

सीईओ ने कहा कि अगर यह मुद्दा नहीं सुलझा तो दिसंबर अंत तक किसी भी तरह माल बेचने पर उन्हें मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘ब्रांडेड शर्ट्स, किचन अप्लायंसेज और छोटे सेलर्स से खरीदे गए हैंडीक्राफ्ट्स पर बड़ा डिस्काउंट होगा।’

हमारे चैनल लेनदेन न्यूज़ ने चार प्रमुख सिंगल ब्रांड रिटेल चेंस और शॉपिंग मॉल्स के प्रतिनिधियों से बात की, जिन्होंने कहा कि दिसंबर तक डिस्काउंट्स दिए जाएंगे। अधिकतर मामलों में छोटे दुकानदारों को भी अगले महीने तक डिस्काउंट देना पड़ सकता है।

अभी बड़ी रिटेलर्स ने इस उम्मीद में नवंबर तक स्टॉक होल्ड करने का निर्णय किया है कि इस बीच मसले का कोई हल निकल आएगा।

देश की दो टॉप रिटेल चेंस तो इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में दिल्ली हाई कोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल करने पर विचार कर रही हैं। कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि जीएसटी लॉ में ऐसे प्रावधान से कारोबारियों के कुछ बुनियादी अधिकारों पर चोट लग सकती है।

खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा, ‘बड़ा सवाल यह है कि क्या कानून यह तय कर सकता है कि कारोबार कैसे चलाया जाए और क्या यह प्रॉडक्ट्स की बिक्री की कोई समय सीमा तय कर सकता है?

कई रिटेलरों को उन वस्तुओं को इस साल का अंत होने से पहले डिस्पोज करना पड़ेगा, जिन पर उन्होंने सेल्स टैक्स, एक्साइज आदि चुकाया था। अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो वे ट्रांजिशनल क्रेडिट नहीं ले पाएंगे।’