जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन बनाने की पुष्टि की। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की खंडपीठ की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में किए गए परिसीमन चुनौती देने वाली याचिका पर आदेश पारित किया।

न्यायमूर्ति ओका ने फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ते हुए कहा कि फैसले ने स्पष्ट किया है कि याचिका को खारिज करने का अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि अनुच्छेद 370 के संबंध में लिए गए निर्णयों को अनुमति दी गई है, क्योंकि यह मुद्दा एक संविधान पीठ के समक्ष लंबित है।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि परिसीमन भारत के संविधान की योजना का उल्लंघन था, विशेष रूप से अनुच्छेद 170 (3) का जिसने 2026 के बाद पहली जनगणना तक परिसीमन किया जाना चाहिए था।

उन्होंने आगे कहा था कि साल 2008 में परिसीमन आदेश पारित होने के बाद, कोई और परिसीमन लागू नहीं किया जा सकता था। याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया था कि 2008 के बाद, परिसीमन संबंधी सभी चीजें केवल चुनाव आयोग की तरफ से किए जा सकते हैं, न कि परिसीमन आयोग की तरफ से।

न्यायमूर्ति ओका ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि, याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील ने मौखिक रूप से तर्क दिया था कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधान भारत के संविधान के अनुरूप हैं, मगर याचिका में कानून के संबंधित प्रावधानों की संवैधानिक वैधता नहीं है।