जयपुर। Mustard production in India : तिलहन फसलों की लहलहाती फसल इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ती दिखाई दे रही है। रकबा अधिक होने के कारण उत्पादन भी बढ़ने का अनुमान है जिसके कारण आयात में निर्भरता कम होगी। खाद्य तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है। आयातित तेल सस्ता होने और रकबा बढ़ने के के कारण घरेलू सरसों का तेल भी सस्ता हो रहा है।
पिछले कुछ महीनों में खाद्य तेल के दाम 15-20 रुपये सस्ते हुए हैं जबकि खुले बाजार में सरसों तेल का भाव गिरकर 140-180 रुपये प्रति लीटर हो गया, जो एक महीने पहले तक 240 रुपये प्रति लीटर था।
खाद्य तेलों के थोक विक्रेता का कहना है कि आयातित खाद्य तेल के दाम कम हुए हैं। सोया व पाम आयल बाहर से आता है। मंदी के कारण भाव टूटे हैं। जिसके कारण घरेलू सरसों तेल के दाम भी प्रभावित हो रहे हैं। शादी विवाह का सीजन खत्म होते ही मांग कम हुई है इसलिए भाव में नरमी है। फिलहाल एक माह तक खाद्य तेलों में तेजी के कोई आसार नहीं है।
कारोबारियों का कहना है कि 16 जनवरी के बाद खाद्य तेल की कीमतों में सुधार आ सकता है। क्योंकि 15 जनवरी से शादी विवाह दोबारा शुरु हो गए हैं। एमएसपी बढ़ने के कारण सरसों के महंगा ही रहने वाला है जिसके कारण कीमतें बढ़ सकती है हालांकि इस साल सरसों का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर के मुताबिक सरसों का उत्पादन पहली बार वार्षिक मांग से अधिक हो सकता है । यदि मौसम अगले एक महीने तक अनुकूल बना रहा तो उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 6 फीसदी अधिक बढ़कर लगभग 125 लाख टन तक पहुंच सकता है।
अभी तक फसल अच्छी है और कहीं से भी किसी बड़े कीट के हमले की कोई खबर नहीं है। हर जगह फूल आना और फली बनने की अवस्था में उन जगहों पर पूरा हो जाता है जहां फसल जल्दी बोई गई थी। उम्मीद है कि पहली फसल समय से आनी शुरू हो जाएगी।
रेपसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक पीके राय ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में कम से कम 125 लाख टन उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू रबी सीजन में अभी तक देश में तिलहनों का कुल रकबा बढ़कर 105.49 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो साल भर पहले 97.66 लाख हेक्टेयर था।
आंकड़ों से पता चलता है कि इसमें से रेपसीड-सरसों का रकबा पहले के 88.42 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर इस बार 95.34 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस वर्ष सरसों के अंतर्गत 10 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र आता है, तो यह उत्पादन में 15 इकाई की वृद्धि कर सकता है।
राजस्थान, देश के रबी उगाए गए तिलहन के कुल उत्पादन में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सरसों का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसने 6 जनवरी तक को 39.83 लाख हेक्टेयर दर्ज किया है, जो कि एक साल पहले की तुलना में 5 लाख हेक्टेयर अधिक है।
कृषि अधिकारियों का कहना है कि किसान उच्च दरों के कारण सरसों की ओर रुख कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक उत्पादन को 35 फीसदी तक बढ़ाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के बीच उपज अंतर को पाटने का सुझाव दे रहे हैं। यदि उपज अंतराल (राज्यों और किस्मों के बीच) का उल्लंघन होता है, तो इसे प्राप्त करने की संभावना है। दूसरे राज्यों की तुलना में राजस्थान में उपज प्रति हेक्टेयर अधिक है।
देश में तिलहन उत्पादन कम होने के कारण आयात के माध्यम से मांग को पूरा किया जाता है। भारत में खाद्य तेलों की सालाना खपत करीब 250 लाख टन है, जबकि घरेलू उत्पादन 111.6 लाख टन है। यह कमी 60 फीसदी के आसपास है। । भारत का खाद्य तेल आयात 143 लाख टन के करीब है।