नहरों के सुदृढ़ीकरण के लिए 1274 करोड़ मिले थे, 10 साल में भी पूरे नहीं हुए काम
- एनओसी ठेकेदार को भुगतान नहीं करने का प्रस्ताव
- सीएडी की जमीन पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण
कोटा। चंबल परियोजना समिति की बैठक मंगलवार को सीएडी सभागार में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता सभापति सुनील गालव ने की। वहीं सीएडी के अतिरिक्त आयुक्त नरेश मालव भी उपस्थित रहे। इस दौरान समिति के सदस्य और जल वितरण समिति के अध्यक्ष नहरों पर हो रहे पक्के निर्माण की क्वालिटी, सीएडी की जमीन पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर अधिकारियों पर खूब बिफरे।
बैठक में जुलाई से सितंबर तक भी नहरों में पानी देने, सदस्यों के प्रशिक्षण, निर्माण की उच्च स्तरीय जांच और बिना समिति अध्यक्ष की एनओसी के ठेकेदार को भुगतान नहीं करने संबंधी प्रस्ताव पारित किए गए।
बैठक में सभापति सुनील गालव ने कहा कि राज्य सरकार ने 2012 में चंबल की नहरों के सुदृढ़ीकरण के लिए 1274 करोड़ रुपये दिए थे। अब 10 साल बाद भी ये काम पूरे नहीं हो पाए हैं। यह विषय काडा की बैठक में भी उठाया गया था। उन्होंने कहा कि इनके छोटे-छोटे टेंडर करके टुकड़ों में काम कराया जाता तो कार्य जल्दी संपन्न हो सकता था।
सभापति ने कहा कि 1274 करोड़ के विभिन्न कार्यों की विस्तृत जांच होनी चाहिए। इसके तहत होने वाले कार्यों की क्वालिटी बहुत घटिया है। एक कमेटी बनाकर विशेषज्ञों के साथ इसकी जांच करानी होगी। सीएडी की मिलीभगत से किसानों के पैसे को लुटाया जा रहा है।
समिति में बिना अध्यक्ष की एनओसी ठेकेदार को भुगतान नहीं करने का प्रस्ताव लिया गया। अतिरिक्त आयुक्त नरेश मालव ने सभी एक्सईएन को समिति सदस्यों को भी वर्क ऑर्डर की कॉपी देने के निर्देश दिए।
बैठक में सदस्यों ने कहा कि पहले 12 महीने नहरों का संचालन होता था। उत्तर प्रदेश में भी 12 महीने नहरें चलती हैं, लेकिन कोई खतरा नहीं होता है। अब धोरे भी पक्के हो गए और बरसात के दिनों में अतिरिक्त पानी भी होता है।
सभापति सुनील गालव ने कहा कि क्षेत्र में पानी भरने से सोयाबीन की पैदावार घट गई है। यदि सीएडी जुलाई से सितंबर के बीच भी नहरों में पानी देने की गारंटी दे तो क्षेत्र में धान की खेती हो सकती है।
अतिरिक्त आयुक्त नरेश मालव ने कहा कि मार्च से जून तक ठेकेदार को पूरी नहर खाली करके दे दें। जिससे वह काम कर सके। सीएडी प्रशासन को जुलाई से सितंबर के बीच भी नहर संचालन पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस पर निर्णय मध्यप्रदेश के साथ बात करके ही लिया जा सकता है। इस अवसर पर शोभागपुरा, कासिमपुरा, सुवांसा माइनर को मॉडल के रुप में विकसित करने की बात कही गई।
अब्दुल हमीद गौड़ ने गाँवड़ी, गंगाईचा, खेजडा चौकी, रंगपुर में बरसाती पानी की निकासी का मुद्दा उठाया। बैठक में उपसभापति अशोक नंदवाना, रामेश्वर नागर, बृजमोहन मालव, कुलदीप सिंह, अब्दुल हमीद गौड़, कृषि विभाग से बलवंत सिंह, एसीई पीसी गुप्ता, एक्सईएन, एईएन उपस्थित रहे।
काम नरेगा से, भुगतान ठेकेदार को
बैठक में नहरों के रेगुलेशन में लगे कर्मचारियों के भुगतान का मुद्दा भी उठाया गया। शोभागपुरा समिति के अध्यक्ष अर्जुनराम ने कहा कि नहरों के रेगुलेशन के लिए ठेका हो जाता है, लेकिन ठेकेदार काम ही नहीं करता है। यह काम नरेगा से कराया जाता है। कुलदीप सिंह ने कहा कि ऐसे ठेकेदारों को ब्लेक लिस्टेड किया जाए। उन्होंने कहा कि खातोली वितरिका में 20 आदमियों को 1.90 लाख का भुगतान कर दिया गया।
नहर पर पुलिया बनाने की स्वीकृति लेना जरुरी
बैठक में एक सदस्य ने तीरथ गाँव में सीएडी की तीन बीघा जमीन पर अतिक्रमण कर मकान बनाने का मुद्दा उठाया। सदस्यों ने कहा कि कोलोनाइजर कृषि भूमि पर कॉलोनी काट देते हैं और नहरों पर भी निर्माण करा देते हैं। इनकी भू रूपांतरण से पूर्व सीएडी से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य करना चाहिए। अतिरिक्त आयुक्त नरेश मालव ने कहा कि नहर पर कहीं पर भी पुलिया सड़क के निर्माण की स्वीकृति उच्च स्तर से लेना जरुरी है। कोई भी अधिकारी अपने स्तर पर ऐसी स्वीकृति न दे। क्षेत्र में बनी हुई अवैध पुलिया की विस्तृत जांच की जाए।