कोटा। छप्पन भोग परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण मथुरा गमन, उद्धव चरित्र, रूक्मणि विवाह आदि प्रसंग का संगीतमय वर्णन व्यासपीठ पर विराजमान गिरिशानन्द महाराज द्वारा किया गया। पंचम दिवस के कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए कहा कि गिरिराज भगवान की पूजा से हमें ज्ञान होता है कि कर्म ही हमरा गुरू, कर्म ही हमारी पूजा है। अपने मन को शुद्ध कर अपने कर्म को करों, फल अवश्य मिलेगा।
भागवत में महारास प्रसंग का वर्णन करते हुए कथावाचक कहते हैं, महारासलीला भागवत के सभी अध्यायों में सबसे महत्वपूर्ण हैं। गोकुल की गोपियों का जीवन दिव्य, पावन, पवित्र है। गोपियों का जीवन चरित्र हमें सिखाता है कि भगवान से निस्वार्थ प्रेम आखिर क्या होता है। मानव का परमात्मा के साथ मिलन ही महारास है। भगवान कृष्ण मुरली बजाकर महारास का आह्वान करते हैं। जमुना के तीरे आकाश से पुष्प वर्षा हो रही है, देवतागण स्वयं संगीत बजा रहे हैं।
गोपी गीत का महत्व बताते हुए गिरिशानन्द महाराज कहते हैं गोपी गीत कृष्ण भक्ति का सर्वोत्तम गीत है। अपने अराध्य प्रभु श्रीकृष्ण से प्रार्थना करते हुए गोपियां कहती हैं हे यदुवंश शिरोमणि ! तुम अपने प्रेमियों की अभिलाषा पूर्ण करने वालों में सबसे आगे हो।
जो लोग जन्म-मृत्यु रूप संसार के चक्कर से डरकर तुम्हारे चरणों की शरण ग्रहण करते हैं, उन्हें तुम्हारे कर कमल अपनी छत्र छाया में लेकर अभय कर देते हैं। हे हमारे प्रियतम ! सबकी लालसा-अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाला वही करकमल, जिससे तुमने लक्ष्मीजी का हाथ पकड़ा है, हमारे सिर पर रख दो। गोकुल में मुरली बाजे रे…श्याम संग राधा नाचे रे… तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे बलिहार सांवरे… आदि भजनों पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर नृत्य करते रहे।
कलयुग में आडम्बर से बचें
कालयवन वध का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक गिरिशानन्द महाराज ने बताया कि जब भगवान कृष्ण ने मुचकुन्द महाराज के माध्यम से कालयवन का वध करवाया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें कलयुग में संत के रूप में जन्म लेकर मनुष्य को आडम्बरों से बचने के लिए ज्ञान और आध्यात्म का प्रचार करने का आशीर्वाद दिया। कलयुग में राजा मुचकुन्द ने कृष्ण भक्त नरसी मेहता के रूप में जन्म लिया। गिरिशानन्द जी ने कहा कि जब भगवान ने सबको मानव जीवन दिया है तो हमें आडम्बर से बचना चाहिए।
रूक्मणि विवाह में गाए मंगल गीत
कथा में गिरिशानन्द महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण-रूक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण-रूक्मणी बने कलाकरों पर पुष्प वर्षा की। इस दौरान विवाह के मंगल गीत गाए गए। मुझे अपनी ही दुल्हन बना लें…श्याम तेरी दीवानी हुई में सहित अन्य भजनों ने श्रद्धालुओं के मन को मोह लिया। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, डॉ. अमिता बिरला, अपर्णा अग्रवाल व समस्त बिरला व अग्रवाल परिवार ने भागवत पूजन व आरती की। गौपालन मंत्री प्रमोद भाया व बारां जिला प्रमुख उर्मिला भाया भी कथा श्रवण के लिए पहुंचे, उन्होंने संत गिरिशानन्द महाराज व मुक्तानंद महाराज से आशीर्वाद लिया ।
भजन संध्या कल
कथा के सातवें दिन रविवार को सुदामा चरित्र एवं शुकदेव विदाई प्रसंग का वर्णन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त रात्रि 8 बजे भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। भजन संध्या में सांसद व भजन गायक मनोज तिवारी, रवि किशन व दिनेश लाल यादव निरहुआ प्रस्तुति देंगे।