नयी दिल्ली। विदेशी बाजारों में तेजी के रुख और किसानों द्वारा सस्ते में अपनी फसल नहीं बेचने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में मजबूती रही। सस्ते आयातित सोयाबीन तेल के आगे स्थानीय स्तर पर लिवाल न होने से सोयाबीन तिलहन (सोयाबीन दिल्ली और लूज) की कीमतों में गिरावट देखने को मिली।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन तेल उद्योग के प्रमुख संगठन ‘सोपा’ ने सरकार को बताया है कि आवक ज्यादा होने के कारण अक्टूबर-नवंबर में सोयाबीन की पेराई मामूली वृद्धि के साथ लगभग छह लाख टन की हुई है। लेकिन दूसरी ओर देखें तो सोयाबीन का स्टॉक, पिछले साल एक दिसंबर को जो लगभग 93.88 लाख टन का था वह वर्ष 2022 में एक दिसंबर को बढ़कर 111.71 लाख टन हो गया। यानी स्टॉक में लगभग 18 लाख टन की वृद्धि हुई है। यानी उत्पादन भी बढ़ा, पेराई भी बढ़ी और सोयाबीन के स्टॉक में वृद्धि हुई।
सूत्रों ने कहा कि सोपा को साथ में सरकार को सस्ते आयातित तेल के कारण महाराष्ट्र के लातूर स्थित स्थानीय तेल पेराई मिलों को 7-8 रुपये प्रति किलो के होने वाले नुकसान के बारे में भी तो बताना चाहिये था। सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेल के कारण स्थानीय पेराई मिलें चल नहीं पा रही हैं और सोपा इस तथ्य से भली भांति अवगत है और उसका दायित्व बनता है कि तेल मिलों की इस समस्या को भी सरकार के सामने उजागर करे।
उन्होंने कहा कि सस्ते आयात के कारण किसान नीचे भाव में कपास और सोयाबीन की बिक्री काफी कम मात्रा में कर रहे हैं जिससे तेल मिलों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मंडियों में सोयाबीन की आवक पिछले महीने के 8-9 लाख बोरी से घटकर अब लगभग पांच लाख बोरी रह गई है। इसी प्रकार कपास नरमा की आवक भी पिछले साल दिसंबर के सवा दो लाख गांठ (एक गांठ- 170 किलो) से घटकर इस बार 1.9 लाख गांठ रह गई है।
सूत्रों ने कहा कि पिछले तीन चार महीनों में वायदा कारोबार में बिनौला खली के भाव में लगभग 26-27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस बात का असर दूध, मक्खन, पनीर इत्यादि के भाव पर हुआ है। उन्होंने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में 3.75 प्रतिशत की तेजी रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात तीन प्रतिशत की तेजी थी और फिलहाल यह आधा प्रतिशत मजबूत है।
सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी का असर मूंगफली तेल-तिलहन को छोड़कर बाकी सभी तेल- तिलहन कीमतों पर दिखा। सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल- तिलहन के भाव अपरिवर्तित रहे। सस्ते आयात के आगे लिवाल न होने से सोयाबीन तिलहन कीमतों में गिरावट आई। तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,025-7,075 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली – 6,410-6,470 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,000 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,415-2,680 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 13,950 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,115-2,245 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,175-2,300 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,200 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,050 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना – 5,500-5,600 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,310-5,360 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।