राजस्थान विधानसभा में माल और सेवा कर संशोधन विधेयक पारित

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छह माह तक रिटर्न न भरने पर रद्द नहीं होगा पंजीयन

जयपुर। Rajasthan Goods and Services Tax Amendment Bill: राजस्थान विधानसभा ने बृहस्पतिवार को राजस्थान माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके तहत किसी फर्म द्वारा छह महीने तक रिटर्न नहीं भरने पर पंजीयन रद्द नहीं होगा तथा क्रेडिट नोट जारी करने की व्यवस्था भी शुरू होगी।

शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने प्रभारी मंत्री की ओर से विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई चर्चा के बाद जवाब में कल्ला ने बताया कि विधेयक में व् यवाहर ियों को कई सुविधाएं दी जा रही हैं, जिससे राज्य सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि विधेयक में इनपुट क्रेडिट टैक्स में सुधार किया गया है। व्यवहारी द्वारा इनपुट क्रेडिट टैक्स के गलत दावे प्रस्तुत करने पर क्रेडिट टैक्स का उपयोग करने के बाद अब ब्याज देय होगा। साथ ही, क्रेडिट नोट जारी करने की व्यवस्था को विधेयक में शामिल किया गया है।

कल्ला ने बताया कि विधेयक में यह प्रावधान भी शामिल किया है कि छह महीने तक रिटर्न नहीं भरने पर पंजीयन को रद्द नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही जीएसटी आर-1, 3 एवं 8 की विवरणियों में भी सुधार किया गया है। इससे विवरणियों में विसंगतियों को रोका जाएगा। प्रभारी मंत्री ने सदन को बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कुशल वित्तीय प्रबंधन से राज्य के कर संग्रह में वृद्धि दर्ज की गई है। जीएसटी के आधार वर्ष (2017-18) में राज्य में 12 हजार 137 करोड़ रुपये का कर संग्रहण हुआ था, जो कि वर्ष 2021-22 में 27 हजार 501 करोड़ रुपये पहुंच गया।

उन्होंने बताया कि गत वर्ष की तुलना में राज्य के जीएसटी संग्रहण में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि भी दर्ज की गई है, जो कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश व हरियाणा से अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का कर चोरी पर प्रभावी अंकुश होने के कारण संग्रहण बढ़ा है।

कल्ला ने बताया कि जब जीएसटी को वर्ष 2017 में लागू किया गया था तब केंद्र ने आय में 14 प्रतिशत वृद्धि का आश्वासन दिया था और अगर यह वृद्धि नहीं होती है तो केंद्र ने पुनर्भरण का भरोसा भी दिया था। उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा आश्वासन पूरा नहीं किया गया और राजस्थान का तीन हजार 780 करोड़ रुपये बकाया है। मुख्यमंत्री ने क्षतिपूर्ति राशि के लिए केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा जिस पर अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए प्रचारित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।