बासमती: ईरान के आयातकों की नए सौदों पर करेंसी सब्सिडी नहीं देने की मांग

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    कोटा । भारतीय बासमती चावल के बड़े खरीदार ईरान की चावल इंपोर्टर एसोसिएशन ने मांग की है कि जबतक पुराने सौदे क्लीयर नहीं होते हैं तबतक नए आयात सौदे पर आयात के लिए सत्ता सिफारिश यानि करेंसी एक्सचेंज पर दिया जाने वाली छूट न दी जाए।

    पंजाब बासमती राइस मिलर्स एसोसिएशन यानि PMRBA के सचिव आशीष कथूरिया ने लेन -देन न्यूज़ को बताया कि ईरान के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि चावल आयातकों ने अबतक करीब 8.40 लाख टन चावल आयात करने के लिए छूट हासिल की है लेकिन 15 अप्रैल तक इस स्कीम के तहत 2-2.25 लाख टन चावल ही ईरान पहुंच सका है।

    ऐसे में इटका, जीटीसी, मोहसिन एंड कंपनी, आवाजे, जैबुल जैसे बड़े चावल आयातकों ने मांग की है कि जबतक पुराने सौदों के मुताबिक चावल ईरान के पोर्ट्स पर नहीं आ जाता तबतक नया सौदा नहीं किया जाए। इसके साथ आयातकों ने सरकार से चावल आयात के लिए लगाए गए 895 डॉलर के सीलिंग प्राइस सहित आयात शुल्क को भी रीव्यू करने की मांग की है।

    आशीष के मुताबिक ईरान 15 जुलाई के बाद आयात पर फिर से रोक लगा सकता है, ऐसे में 15 जुलाई से पहले वह जल्दी से जल्दी अपनी जरूरत के मुताबिक स्टॉक भरना चाहता है, इसलिए आयातकों पर पुराने सौदों का चावल जल्दी से ईरान पहुंचाने के लिए यह दबाव बनाया गया है। आशीष के मुताबिक इस साल भारत मे बासमती का उत्पादन कम है जिस वजह से ईरान सहित दूसरे देशों को चावल की शॉर्टेज का सामना करना पड़ रहा है।