वाराणसी। Gyanvapi-Shringar Gauri Case: बहुचर्चित ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी जिला जज की अदालत का फैसला हिंदू पक्ष के हक में आया है। अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। इधर, मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने जिला जज के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस मुस्लिम पक्ष के रूल 7 नियम 11 के आवेदन को खारिज किया। मुख्य रूप से उठाए गए तीन बिंदुओं- प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड से इस वाद को बाधित नहीं माना और श्रृंगार गौरी वाद सुनवाई योग्य माना। जिला जज ने 26 पेज के आदेश का निष्कर्ष लगभग 10 मिनट में पढ़ा। इस दौरान सभी पक्षकार मौजूद रहे।
अदालत के फैसले के बाद हिंदू पक्ष के लोगों में खुशी की लहर है। इधर, वाराणसी में हाई अलर्ट है। कचहरी परिसर, काशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र समेत अन्य संवेदनशील इलाकों में पुलिस विशेष सतर्कता बरत रही है। सुप्रीम कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मामला सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर फैसले के लिए मुकदमे को जिला जज की अदालत में भेज दिया था। गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर छह से ज्यादा मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं।
हिंदू पक्ष के पैरोकार सोहन लाल आर्य ने कहा कि आज हिंदू समाज को बहुत बड़ी जीत मिली है। अगली सुनवाई 22 को होगी। ज्ञानवापी मंदिर के लिए यह मील का पत्थर है। हम सभी लोगों से शांति की अपील करते हैं। ज्ञानवापी मामले में महिला वादियों के पैरौकार व विश्व वैदिक संघ से प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि संपूर्ण सनातन समाज को प्रथम जीत की मंगलमय शुभकामनाएं। सभी पक्ष संयम और विवेक से कार्य करें। अति उत्साह में देश की शांति व्यवस्था ना बिगड़े इस बात का विशेष ध्यान रखें। हर-हर महादेव।
18 अगस्त 2021 को श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन पूजन का मामला राखी सिंह और अन्य चार महिलाओं द्वारा वाराणसी के अदालत में दायर किया गया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष के अंजुमन इंतजाम या कमेटी के वकील सुप्रीम कोर्ट तक गए थे। तत्कालीन सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था।
कमीशन की कार्यवाही के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी और मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाए थे।
16 मई 2022 को सर्वे की कार्यवाही के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 मई 2022 से इस मामले में जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जून के आखिरी हफ्ते से लगातार इस मामले पर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के वकीलों द्वारा दलीलें पेश की जा रही थीं। सोमवार को अदालत ने हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया।
हिंदू पक्ष के दावे के मुताबिक 1993 से पहले तक मस्जिद के कुछ हिस्सों में हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक पूजा होती थी और इस ज्ञानवापी मस्जिद का पूरा ढांचा मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि 1947 के बाद किसी धार्मिक स्थल के चरित्र को बदला नहीं जा सकता। साथ ही साथ 1991 के विशेष उपासना स्थल कानून के तहत कमीशन की कार्यवाही भी गलत है। अब जिला जज के फैसले से हिंदू पक्ष के दावों पर मुहर लगी है।
मामला खींचेगा लंबा: श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन का मामला अब आगे चलेगा। फैसले के खिलाफ एक पक्ष ऊपरी अदालत का रुख करेगा। जिला जज की अदालत में अगली सुनवाई 22 सिंतबर को होगी। माना जा रहा है कि ये मामला अभी लंबा चलेगा।