नयी दिल्ली। अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत विकसित देशों से कमजोर मांग की वजह से इंजीनियरिंग, रत्न-आभूषण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से निर्यात प्रभावित हुआ है। आगामी महीनों में यदि वैश्विक स्थिति बेहतर नहीं होती है तो इसका भारत के निर्यात पर और असर पड़ने की आशंका है।
विशेषज्ञों का कहना कि वैश्विक मुद्रास्फीति, रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन और ताइवान के बीच बढ़ता तनाव और आपूर्ति व्यवधानों से दुनियाभर में आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो रही है और यही कमजोर मांग की वजह है।
विश्व व्यापार संगठन ने अप्रैल में अनुमान जारी करके कहा था कि विश्व व्यापार 4.7 फीसदी की दर से बढ़ेगा लेकिन अब 2022 में इसके तीन फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है। अगस्त में देश से वस्तु निर्यात 1.15 फीसदी कम होकर 33 अरब डॉलर रहा है जबकि समान महीने में आयात में 37 फीसदी की वृद्धि होने से व्यापार घाटा दोगुने से अधिक बढ़कर 28.68 अरब डॉलर हो गया।
वर्ष 2021-22 में देश के कुल 419 अरब डॉलर के निर्यात में इंजीनियरिंग उत्पादों की हिस्सेदारी 25 फीसदी से अधिक थी, इनमें लगातार दूसरे महीने गिरावट आई और अगस्त में यह 14.5 फीसदी गिरकर 8.25 अरब डॉलर रह गया। अगस्त में रत्न एवं आभूषण का निर्यात चार फीसदी कम होकर 3.3 अरब डॉलर, प्लास्टिक का 1.47 फीसदी गिरकर 74.45 करोड़ डॉलर रहा।
इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) ने कहा कि कई वैश्विक वजहों से क्षेत्र में बीते कुछ महीनों में वृद्धि कमजोर पड़ी है। परिषद ने एक बयान में कहा, ‘‘चीन से मांग कम होने और पश्चिम की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के माहौल से निर्यात में नरमी आई। इस्पात के कुछ उत्पादों पर निर्यात शुल्क लगाए जाने से भी वृद्धि प्रभावित हुई।’’
निर्यातकों के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गेनाइजेशन्स (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि मौजूदा रूझान को देखते हुए ऐसा लगता है कि सितंबर से नवंबर की अवधि चुनौतीपूर्ण रहेगी।
लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस सी रल्हान ने कहा, ‘‘निर्यातकों के पास करीब दो महीने के ही ऑर्डर है। वैश्विक स्थिति का मौजूदा हाल बना रहता है तो इससे हमारे निर्यात प्रभावित होंगे।’’