मुंबई। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (एसबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.5 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसका कारण पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) आंकड़ा अनुमान के मुकाबले नीचे रहना है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही। वृद्धि दर के उम्मीद से कम रहने का कारण विनिर्माण क्षेत्र का कमजोर प्रदर्शन है। इस क्षेत्र में पहली तिमाही में केवल 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से वृद्धि को समर्थन मिला।
विशेषज्ञों ने पहली तिमाही में 15 से 16.7 प्रतिशत वृद्धि दर रहने की संभावना जतायी थी। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक ने सबसे अधिक 16.7 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान रखा था।भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 15.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद व्यक्त की थी।
घोष ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 13.5 प्रतिशत पर वृद्धि दर के साथ वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में तिमाही आधार पर 9.6 प्रतिशत की कमी आई है। लेकिन मौसमी रूप से समायोजित वास्तविक जीडीपी वृद्धि श्रृंखला आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत देती है। इसके तहत पहली तिमाही में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में यह 4.1 प्रतिशत और 2021-22 की चौथी तिमाही में 1.9 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि जीडीपी के आंकड़े बातों को सामने लाने से ज्यादा छिपाते हैं। यह औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) के माप में शामिल वस्तुओं के समूह पर गौर करने का समय है। इसकी समीक्षा पिछली बार 2012 में की गयी थी।
घोष ने कहा कि हालांकि जीडीपी में दहाई अंक में वृद्धि हुई है लेकिन यह बाजार उम्मीद से कम है। इसका प्रमुख कारण विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि है जो पहली तिमाही में महज 4.8 प्रतिशत रही।
उन्होंने कहा कि इसको देखते हुए पूरे वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। घोष ने कहा कि उन्हें चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके आधार पर हम अब 2022-23 के लिये सालाना जीडीपी वृद्धि अनुमान को संशोधित कर 6.8 प्रतिशत कर रहे हैं। यह सांख्यिकी समायोजन है। हालांकि उन्होंने कहा कि दूसरी छमाही में वृद्धि गति में तेजी आने की उम्मीद है।’’ घोष ने पूर्व में पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 15.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
उन्होंने कहा कि सबसे निराश करने वाली बात मौजूदा मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर 26.7 प्रतिशत रहना है जो 2021-22 की पहली तिमाही में 32.4 प्रतिशत तथा 2021-22 की चौथी तिमाही में 14.9 प्रतिशत थी। वास्तविक संदर्भ में निजी अंतिम खपत व्यय में सुधार हुआ और यह 10 प्रतिशत रहा जो महामारी-पूर्व स्तर से अधिक है।