नई दिल्ली। सरकार ने आधार को बैंक अकाउंट्स से जोड़ने की डेडलाइन 31 दिसंबर 2017 तय की है। जो लोग इस अवधि तक अपने बैंक खातों से आधार नहीं जोड़ेंगे, वे खातों से लेनदेन नहीं कर सकेंगे।
पिपल अडवाइजरी सर्विस अर्न्स्ट ऐंड यंग के डायरेक्टर पुनीत गुप्ता ने वित्त मंत्रालय की ओर से 1 जून 2017 को जारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (मेंटनंस ऑफ रेकॉर्ड्स) रूल्स , 2005 में संशोधन से संबंधित नोटिस का विश्लेषण किया।
उन्होंने कहा, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह नियम सभी इंडिविजुअल्स, कंपनियों, फर्मों, ट्रस्टों, असोसिएशनों आदि पर लागू होता है जिनके बैंक अकाउंट्स हैं। इन्हें अपने बैंक खातों से लेनदेन जारी रखने के लिए इन्हें आधार से लिंक करना होगा।
इससे मुक्ति तभी मिल सकती है जब कोई आधार बनवाने योग्य नहीं है, यानी आधार के नियम के मुताबिक जो अप्रवासी है। वित्त मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक, बैंक अब आधार के बिना खाता खोल ही नहीं रहे हैं। सारे बैंक अपने ग्राहकों को आधार नंबर उपलब्ध कराने की लगातार अपील कर रहे हैं।
एचडीएफसी बैंक अपने ग्राहकों को आधार लिंक करने के लिए यह मेसेज भेज रहा है। बैंकों की ओर से ईमेल के जरिए भी ग्राहकों से अकाउंट को आधार से लिंक करने की अपील की जा रही है।
हालांकि, अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजता के अधिकार (राइट टु प्रिवेसी) को मौलिक अधिकार की श्रेणी में रखे जाने के बाद इस बात पर संदेह है कि क्या आधार से बचत खाता, पैन और दूसरे अकाउंट्स या डॉक्युमेंट्स से जोड़ना अनिवार्य रह पाएगा भी या नहीं।
इस संबंध में गुप्ता का कहना है, ‘निजता के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आधार की मान्यता से कोई लेनादेना नहीं है। कोर्ट के आदेश में आधार की वैधानिकता और इसके प्रभावों पर कुछ नहीं कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट की अलग बेंच तय करेगी कि आधार को अनिवार्य बनाया जाना संवैधानिक रूप से मान्य है या इससे किसी की निजता में खलल पड़ती है।’
गौरतलब है कि आधार को अनिवार्य बनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दी गई हैं जिनमें कहा गया है कि इससे लोगों के निजता के अधिकारा का उल्लंघन होता है।
अब इस पर कोर्ट का क्या फैसला आता है, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। ऐसे में इस मसले के कुछ अहम बिंदुओं पर चर्चा करना जरूरी है…
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करें?
सभी के दिमाग में यही सवाल चल रहा है। वित्त मंत्रालय के निर्देशों पर बैंक अपने ग्राहकों के लिए आधार लिंकिंग को अनिवार्य बना दिया है। ऐसे में मौजूदा खाताधारकों को कोई छूट नहीं मिल रही है।
जहां तक बात सुप्रीम कोर्ट के फैसले की है तो यह पहले से ही स्पष्ट हो चुका है कि आधार गैर-कानूनी नहीं है और निजता का अधिकार असीमित नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आनेवाले फैसले से यह स्पष्ट हो जाएगा कि आधार को अनिवार्य करना कानूनी है या नहीं।
अगर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के निर्देश पर रोक नहीं लगाई तो आधार लिंक नहीं करनेवाले खाताधारकों की हालत नोटबंदी के वक्त से भी बुरी हो जाएगी क्योंकि आपके खाते में न सैलरी क्रेडिट हो पाएगी, न आप एटीएमस से पैसे निकाल पाएंगे, न अपने कार्ड स्वाइप कर पाएंगे और न ही ऑनलाइन ट्रांसफर ही कर पाएंगे।
यानी, खातों का संचालन पूरी तरह बंद हो जाएगा। इसलिए 31 दिसंबर तक अकाउंट्स को आधार से लिंक करना ही बेहतर है।
संचालन बंद होने के बाद फिर ऑपरेशनल हो पाएगा अकाउंट?
हां, आप जरूरी दस्तावेज जमा करने और आधार कार्ड लिंक करने के बाद अपने अकाउंट्स को दोबारा ऑपरेट कर सकते हैं। हालांकि, यह पक्का पता नहीं है कि आधार लिंकिंग के अभाव में खाता बंद होने के बाद अगर आधार से लिंक कर दिया जाए तो कितने दिनों में अकाउंट्स दोबारा ऑपरेशनल हो पाएंगे।
इन खाताधारकों को छूट
आधार से लिंक नहीं किए जाने के बाद सभी तरह के बैंक अकाउंट्स बंद नहीं होंगे। वित्त मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक, स्मॉल अकाउंट्स इस नियम से मुक्त रहेंगे क्योंकि ऐसे खाते खुलवाने के लिए आधार की जरूरत नहीं पड़ती है…
स्मॉल अकाउंट्स किसे कहते हैं?
-ऐसे बैंक बचत खाते छोटे खाते कहलाते हैं जिनमें…
-एक वित्त वर्ष के अंदर 1 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा नहीं होती है।
-एक महीने में 10,000 रुपये से ज्यादा निकासी और ट्रांसफर नहीं हो सकते।
-कभी भी अकाउंट में 50,000 रुपये से ज्यादा बैलेंस नहीं हो सकता।
कौन खुलवा सकता है स्मॉल अकाउंट?
नोटिफिकेशन के मुताबिक, जो लोग किसी बैंक में अपना स्मॉल अकाउंट खुलवाना चाहते हैं उन्हें संबंधित फॉर्म पर सेल्फ अटेस्टेड फोटो लगाकर एवं दस्तखत कर या अंगूठे का निशान लगाकर खाते खुलवा सकते हैं।
स्मॉल अकाउंट खुल जाने के 12 महीने तक ऑपरेशनल रहेगा। फिर अगले 12 महीने के लिए खाताधारक को बैंक में यह साक्ष्य पेश करना होगा कि उसने खाता खुलवाने के 12 महीनों के अंदर आधिकारिक तौर पर वैध दस्तावेज के लिए आवेदन किया था। ऐसा करने पर 24 महीने के बाद उस खाते की फिर से समीक्षा की जाएगी।