नई दिल्ली। GST on Luxury and Sin Goods: लक्जरी आइटम और सिन गुड्स ((Luxury and Sin Goods) पर 28 प्रतिशत की दर से ही जीएसटी लागू होगा। इन वस्तुओं पर 28 फीसद का अधिकतम जीएसटी स्लैब जारी रहेगा। राजस्व सचिव तरुण बजाज ने सोमवार को यह बात कही।
उन्होंने कहा कि फिलहाल इस दर में किसी तरह के बदलाव की सरकार की कोई मंशा नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार 5, 12 और 18 फीसद के तीन स्लैब को कम करके उनकी संख्या दो करने के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार है।
लक्जरी आइटम और सिन गुड्स के मामले पर राजस्व सचिव ने कहा कि एक विकासशील और इतनी अधिक आय असमानता वाली अर्थव्यवस्था में विलासिता और सिन गुड्स पर कर की दरें उच्चतम होनी चाहिए। इसलिए 5, 12, 18 और 28 फीसद में से हमें ऐसी चीजों के लिए 28 फीसद जीएसटी की दर जारी रखनी होगी।
5, 12 और 18 फीसद के टैक्स स्लैब पर राजस्व सचिव ने कहा कि इन्हें मिलाकर दो जीएसटी स्लैब (GST Slabs) भी बनाए जा सकते हैं। फिर हमें देखना होगी कि देश इनके साथ कैसे आगे बढ़ता है और क्या भविष्य में जीएसटी को एक समान दर पर लाने की क्षमता है या नहीं। यह एक बहुत ही कठिन चुनौती है।
बता दें कि जीएसटी के तहत कर लगाने के चार स्लैब हैं- 5, 12, 18 और 28 फीसद। इसके अलावा, सोने, आभूषण और कीमती पत्थरों के लिए 3 फीसद और कटे और पॉलिश किए गए हीरों पर 1.5 फीसद की विशेष दर है। इसके अलावा लक्जरी और सिन गुड्स (Luxury and Sin Goods) पर 28 फीसद के उच्चतम कर स्लैब पर उपकर लगाया जाता है। उपकर से हुई आय एक अलग कोष में जाती है, जिसे मुआवजा कोष कह सकते हैं। इसका उपयोग जीएसटी रोलआउट के कारण राज्य को होने वाले राजस्व नुकसान के लिए किया जाता है।
एसोचैम के एक कार्यक्रम में उद्योग जगत के नेताओं को संबोधित करते हुए राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि जीएसटी परिषद की दरों को तर्कसंगत बनाने की कोशिश जीएसटी सिस्टम की लगातार निगरानी का परिणाम है। पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की उद्योग की मांग पर उन्होंने कहा कि चूंकि ईंधन राजस्व का एक बड़ा हिस्सा है, इसलिए केंद्र और राज्य, दोनों को कुछ आशंका है। इसके लिए हमें कुछ समय इंतजार करना होगा।
हाल में हुए कई बदलाव: जीएसटी परिषद ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के तहत मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) का गठन किया है, जिसको कर की दरों में बदलाव, स्लैब की संख्या कम करने और छूट सूची की समीक्षा करने जैसे काम सौंपे गए हैं। आरबीआइ के एक अध्ययन के अनुसार, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लगने वाले औसत कर दर कम होकर 11.6 फीसदी हो गई है, जो इसके लॉन्च के समय 14.4 फीसदी थी।
जबकि जीएसटी लॉन्च से पहले सुब्रमण्यम समिति की रिपोर्ट ने इसे 15.5 फीसद रखने का सुझाव दिया था। पिछले महीने जीओएम की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर जीएसटी परिषद ने पहले से पैक और लेबल वाले गेहूं का आटा, पनीर, दही और लस्सी सहित कई चीजों पर कर छूट को खत्म कर दिया था।