कोटा। पहले चने और फिर लहसुन किसानों को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से मिली राहत से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। स्पीकर बिरला का बुधवार को दीगोद में किसान संगठनों ने अभिनंदन कर सहायता करने के लिए आभार जताया।
बिरला ने कहा कि भारत के किसानों की क्षमता और सामर्थ्य को दुनिया जानती है। किसानों को सशक्त, मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने की जिम्मेदारी हमारी है। हम सब मिलकर किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करें ताकि उनकी और देश की आर्थिक स्थिति सुधर सके।
दरअसल, इस बार हाड़ौती में चने और लहसुन की बंपर पैदावार हुई है। चने की एमएसपी पर खरीद के दौरान किसानों को दो तरह की समस्या का सामना करना पड़ा। चने में खेसारी दाल पर अधिकारियों ने माल को रिजेक्ट करना प्रारंभ कर दिया। जो चना उपयुक्त था, उसे 25 क्विंटल प्रति किसान की सीमा तक ही खरीदा जा रहा था।
इसी तरह लहसुन की बंपर पैदावर होने के कारण बाजार में भाव इतने गिर गए कि किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया। ऐसे में किसानों ने स्पीकर बिरला से भेंट कर उनसे मदद का आग्रह किया था। चने के मामले में स्पीकर बिरला ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को फोन कर एक निश्चित सीमा तक खेसारी दाल मिला चना खरीदने तथा प्रति किसान 40 क्विंटल चना खरीद की बात कही थी।
इस तरह लहसुन के मामले में भी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राज्य के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया को फोन कर बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत लहसुन खरीद के प्रस्ताव केंद्र सरकार को भिजवाने को कहा था। बिरला ने किसानों को आश्वस्त किया था कि राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव मिलने पर उसे केंद्र सरकार से जल्द से जल्द स्वीकृत करवा दिया जाएगा।
स्पीकर बिरला ने अपना वादा निभाते हुए पहले चने में दो प्रतिशत की सीमा तक खेसारी दाल होने पर एमएसपी पर खरीद करने के आदेश करवाए, इसके बाद चना खरीद की सीमा को भी 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रति किसान करवा दिया। इसके बाद स्पीकर बिरला के प्रयासों से केंद्र सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत लहसुन खरीद की स्वीकृति भी जारी कर दी।
इन आदेशों से किसानों को बड़ी राहत मिली और उनके उदास चेहरों पर खुशी लौट आई थी। स्पीकर बिरला बुधवार को जब निमोदा हरिजी गांव जा रहे थे तो किसानों ने दीगोद में उनका अभिनंदन किया और मुसीबत की घड़ी में भाई और बेटे की तरह साथ निभाने के लिए आभार जताया।
स्पीकर बिरला ने कहा कि वे किसानों के दर्द को समझते हैं, इसलिए उनकी पीड़ा को प्राथमिकता से दूर करना उनकी प्राथमिकता होती है। केंद्र सरकार के स्तर से आदेश जारी होने के बाद उन्होंने राज्य सरकार से भी आग्रह किया है कि वे स्थिति की गंभीरता को समझते हुए जल्द से जल्द खरीद प्रक्रिया को पूरा करे ताकि किसानों को राहत मिल सके।