नई दिल्ली। भारत ने दुनिया में अनाज की कीमतों में ‘अनुचित वृद्धि’ के बीच उसकी जमाखोरी और वितरण में भेदभाव पर चिंता जाहिर की है। इसके साथ ही दुनिया के अमीर देशों को आईना दिखाते हुए कहा है कि अनाज का वितरण कोविड टीकों की तरह नहीं होना चाहिए।
भारत ने कहा कि अमीर देशों ने बड़ी संख्या में टीके स्टोर कर लिए थे, जबकि गरीब देशों की इन तक पहुंच ही नहीं थी। संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए भारत ने कहा कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के उसके फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि वह जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकता है।
विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा, ‘‘कम आय वाले विभिन्न वर्ग आज अनाज की बढ़ती कीमतों और उनकी पहुंच तक मुश्किल की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि पर्याप्त भंडार वाले भारत जैसे देशों ने खाद्यान्न में अनुचित वृद्धि देखी है। यह साफ है कि जमाखोरी की जा रही है। हम इसे ऐसे ही चलने नहीं दे सकते।’
मुरलीधरन ‘ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन’ पर मंत्री स्तरीय बैठक में बोल रहे थे, जिसकी अध्यक्षता अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब भारत ने बीते शुक्रवार को ही गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का ऐलान किया था। दरअसल भारत में इस बार भीषण लू चलने की वजह से गेहूं के उत्पादन में बड़ी कमी आई है और उसके चलते अभी से ही कीमतों में इजाफा होने लगा है। इसलिए संकट से निपटने के लिए भारत सरकार ने एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला लिया ताकि घरेलू स्तर पर संकट न पैदा होने पाए।
इस फैसले का मकसद गेहूं और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को काबू में करना है, जो पिछले एक साल में औसतन 14 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है। इसका उद्देश्य पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करना है। विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने पिछले सप्ताह एक अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार की अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी जाएगी। भारत ने उच्च स्तरीय बैठक में संयुक्त राष्ट्र में पहली बार गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के मुद्दे पर अपनी बात रखी। मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक आई वृद्धि को स्वीकार करती है, जिससे ‘हमारी और हमारे पड़ोसियों तथा अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।’
एक्सपोर्ट रोकने से पड़ोसी देशों को मिलेगी मदद
उन्होंने कहा, ‘हमारी अपनी खाद्य सुरक्षा से निपटने तथा पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, हमने 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात के संबंध में कुछ उपायों की घोषणा की।’ भारत ने पश्चिमी देशों से आह्वान किया और उन्हें आगाह किया कि अनाज का मुद्दा कोविड-19 रोधी टीकों की तरह नहीं होना चाहिए। अमीर देशों ने भारी संख्या में कोविड रोधी टीके खरीद लिए, जिसकी वजह से गरीब तथा कम विकासशील देश अपनी आबादी को पहली खुराक देने में भी जूझते नजर आए।
अफगानिस्तान और श्रीलंका की कर रहे मदद
मुरलीधरन ने कहा, ‘हमने हजारों मीट्रिक टन गेहूं, आटा और दालों के रूप में हमारे पड़ोसियों और अफ्रीका समेत कई देशों को खाद्य मदद दी है ताकि उनकी खाद्य सुरक्षा मजबूत की जा सके।’ उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में बिगड़ते मानवीय हालात के मद्देनजर भारत उसके लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं दान कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम श्रीलंका को भी मुश्किल दौर में खाद्य सहायता समेत और मदद दे रहे हैं।’