नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े आईपीओ (LIC IPO) की लिस्टिंग (LIC IPO Listing) पर निवेशकों को निराशा हाथ लग सकती है। मौजूदा बाजार परिस्थितियां तो यही बता रही हैं। पीएम मोदी (PM Modi) की सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम में हिस्सेदारी बेचकर 2.7 अरब डॉलर जुटाए हैं। एलआईसी का शेयर (Lic Share) मंगलवार को शेयर बाजारों में लिस्ट होगा।
यह ऐसा समय है, जब दुनियाभर के बाजार रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) की अनिश्चितताओं और बढ़ती ब्याज दरों (Interest Rates) से प्रभावित हैं। अथाह पूंजी वाले ग्लोबल फंड्स अस्थिरता का सामना कर सकते हैं। लेकिन, छोटे निवेशक, विशेष रूप से पहली बार शेयर बाजार में उतरे लोग शेयर के अंडरपरफॉर्म करने पर अपने हाथ जला सकते हैं।
कंपनी के पास हैं 500 अरब डॉलर के एसेट्स
मुंबई मुख्यालय वाली एलआईसी भारत में जाना-माना नाम है। इसकी देश में 2,000 ब्रांच हैं, एक लाख कर्मचारी हैं और 28.60 करोड़ पॉलिसीज हैं। इस 65 साल पुरानी कंपनी के पास करीब 500 अरब डॉलर के एसेट्स हैं। इस कंपनी के 25 करोड़ बीमाधारक हैं और यह इंश्योरेंस मार्केट में करीब दो-तिहाई हिस्सेदारी रखती है। मोदी सरकार में वित्त मंत्रालय के एक पूर्व शीर्ष नौकरशाह सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा, ‘एलआईसी के एक दिग्गज कंपनी होने के भावनात्मक तर्क और इसके ब्रांड मूल्य को खुदरा निवेशकों के लिए लाभप्रदता में बदलने की जरूरत है।’
तीन गुना हुआ था सब्सक्राइब
एलआईसी का आईपीओ करीब तीन गुना सब्सक्राइब हुआ है। इसमें पॉलिसीधारकों का हिस्सा छह गुना से अधिक सब्सक्राइब हुआ है। कर्मचारियों का हिस्सा चार गुना सब्सक्राइब हुआ। वहीं, आईपीओ के एंकर हिस्से ने नॉर्वे और सिंगापुर से सॉवरेन फंडों को आकर्षित किया है, अधिकांश शेयर घरेलू म्यूचुअल फंड में चले गए। सरकार की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 6.4% के घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आईपीओ से मिला धन महत्वपूर्ण होगा। इस पैसे का उपयोग पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) पर टैक्स घटाने के रूप में भी किया जा सकता है।