नीट-पीजी में 30 फीसदी बोनस अंकों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

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कटघरे में योग्यता : राजस्थान फ्रेशर्स डॉक्टर्स काउंसिल ने मेडिकल कॉलेजों की पीजी सीटों के लिए राज्य सरकार द्वारा सरकारी डॉक्टर्स को 10, 20 व 30 प्रतिशत बोनस अंक देने पर सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती।

-अरविंद
कोटा। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पीजी की सीटों पर सरकारी अस्पतालों में सेवारत डॉक्टर्स को 30 प्रतिशत तक बोनस अंक देने का विरोध कर रहे फ्रेशर्स एमबीबीएस डॉक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी।

नॉन-सर्विस केटेगरी के फ्रेशर एमबीबीएस डॉक्टर्स रविवार को स्वास्थ्य मंत्री श्री कालीचरण सर्राफ से मिले तथा उन्हें पीजी में एडमिशन के लिए सरकारी डॉक्टरों को 10 प्रतिशत बोनस अंक देने की गुहार लगाई। उधर, शनिवार रात नीट-पीजी की आवंटन सूची जारी हुई, जिसमें 30 प्रतिशत तक बोनस अंक मिल जाने से रेडियोलॉजी, आर्थोपेडिक्स, पीडिएट्रिक्स जैसी शीर्ष ब्रांचों में केवल सरकारी डॉक्टरों को ही पीजी सीटें मिल सकी। फ्रेशर डॉक्टर्स इससे वंचित रह गए।

राजस्थान फ्रेशर्स डॉक्टर्स काउंसिल के अध्यक्ष डॉ नवेंदु रंजन ने बताया कि राज्य में 20 हजार से अधिक युवा डॉक्टर्स सरकार के इस नियम के विरोध में 2 माह से आंदोलन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि भविष्य में फ्रेशर डॉक्टर्स पीजी नहीं कर पाएंगे। एमसीआई के नियमानुसार, रिमोट या दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं देने वाले सरकारी डॉक्टरों को 10 से 30 प्रतिशत बोनस अंक दिए जा सकते हैं।

इस पर राज्य हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक याचिका पर निर्देश दिए थे कि राज्य सरकार बोनस अंक देने से पहले रिमोट या दुर्गम क्षेत्रों को चिन्हित करे। इसके बाद 7 अप्रैल को हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को ऐसे क्षेत्रों के सरकारी डॉक्टर्स को 30 प्रतिशत तक बोनस अंक देने की अनुमति दे दी।

क्या है बोनस अंकों का मामला
नीट-पीजी,2016 का रिजल्ट घोषित होने पर राज्य सरकार ने 8 अप्रैल को मेरिट सूची जारी कर दी जिसमें सरकारी अस्पतालों में सेवारत डॉक्टर्स को पीजी कोर्स के लिए अनुभव के आधार पर क्रमशः 10, 20 एवं 30 प्रतिशत अतिरिक्त बोनस अंक देने की घोषणा की गई। जबकि इससे पहले 20 मार्च को सरकार ने स्पष्ट किया था कि राज्य में आदिवासी, रेगिस्तानी या पहाड़ी क्षेत्रों में सरकारी सेवाएं देने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स को पीजी के लिए 10 प्रतिशत बोनस अंक दिए जाएंगे।