नई दिल्ली। भारत पर विदेशी कर्ज का आंकड़ा इस साल जून के अंत तक बढ़कर 485.8 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें तीन फीसद की वृद्धि दर्ज की गई।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से भारतीय पूंजी बाजार के ऋण खंड में ज्यादा राशि झोंकने को इसका मुख्य कारण बताया गया है। रिजर्व बैंक की ओर से शुक्रवार इस संबंध में आंकड़े जारी किए गए। इसके मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ विदेशी कर्ज का अनुपात 20.3 फीसद हो गया।
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केंद्र सरकार ने देश में कर प्रशासन बेहतर करने के लिए पिछले 2-3 साल में तमाम कदम उठाए हैं। इससे कर प्रशासन में पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ी है। इसका नतीजा करदाताओं की संख्या में भारी वृद्धि के रूप में सामने आया है।
देश में बीते वित्त वर्ष 2016-17 में करदाताओं की संख्या बढ़कर 6.26 करोड़ हो गई। वर्ष 2012-13 में यह आंकड़ा 4.72 करोड़ था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। वह वित्त मंत्रालय संसदीय सलाहकार समिति की दूसरी बैठक को संबोधित कर रहे थे। जेटली के पास कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का भी प्रभार है।
वित्त मंत्री ने सांसदों को बताया कि आयकर विभाग ने पिछले वषों में कर प्रशासन में दक्षता, पारदर्शिता व निष्पक्षता लाने के लिए कई पहल की हैं। एक पेज वाले आइटीआर-1 (सहज) फॉर्म को करदाताओं के लिए पेश किया गया था। यह 50 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए है।
बीते दो-तीन वर्षो के दौरान 2.5 लाख से पांच लाख तक आमदनी वालों के लिए आयकर की दर 10 से घटाकर पांच फीसद कर दी गई। पांच लाख रुपये तक की आय वाले गैर-कारोबारी करदाताओं के लिए पहली बार ‘कोई स्क्रूटनी नहीं’ की अवधारणा शुरू की गई थी।
इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को कर दायरे में लाने, रिटर्न भरने और टैक्स देनदारी का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस साल 97 फीसद आयकर रिटर्न ऑनलाइन दाखिल किए गए हैं।
यही नहीं, 90 फीसद लोगों को टैक्स रिफंड 60 दिनों के भीतर जारी कर दिए गए हैं। जेटली के मुताबिक नोटबंदी में पैसा जमा करने वालों के आंकड़ों की छानबीन करने के बाद 5,400 करोड़ की अघोषित आय का पता चला।
करीब 400 मामले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआइ के पास भेजे गए। इसके अलावा 50 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 25 प्रतिशत किया गया है।
आयकर विभाग ने शिकायत समाधान प्रणाली ई-निवारण भी शुरू की है। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि 1.9 करोड़ वेतनभोगी करदाताओं को हर तिमाही को उनके नियोक्ता द्वारा जमा टीडीएस की सूचना दी जा रही है।
जेटली ने बताया कि नोटबंदी और अन्य पहलों के चलते बीते वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह बढ़कर 8,49,818 करोड़ रुपये हो गया। यह राशि इससे पिछले वर्ष के मुकाबले 14.5 फीसद ज्यादा है।
चालू वर्ष में 18 सितंबर तक प्रत्यक्ष कर संग्रह 15.7 फीसद बढ़कर 3.7 लाख करोड़ रुपये रहा। इस बैठक के दौरान सांसदों की ओर से डिजिटल लेनदेन बढ़ाने के लिए बैंकिंग या ट्रांजैक्शन शुल्कों को घटाने का सुझाव दिया गया।
राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के अनुपात में 96 फीसद तक पहुंचा
देश का राजकोषीय घाटा अगस्त के अंत तक चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान का 96.1 फीसद तक पहुंच गया। इसकी मुख्य वजह खर्च में बढ़ोतरी है।
आंकड़ों में बात करें तो अप्रैल से अगस्त के बीच व्यय और राजस्व के बीच का यह अंतर यानी घाटा 5.25 लाख करोड़ रुपये हो गया। भारत सरकार के लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की ओर से जारी आंकड़ों से ये तथ्य सामने आए हैं।