नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूसी (Attack on Ukraine) हमले से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत (Crude Oil Price) तो रिकार्ड कीमत पर पहुंच ही गई है। अब इसकी आंच से खाद्य तेल (Edible Oil) भी उबलने लगे हैं। तभी तो महज एक सप्ताह में ही इसकी कीमतों में 20 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो गया है। दिल्ली बाजार में बुधवार को लगभग सभी तेल- तिलहनों के भाव (Edible oil Rates) चढ़े हैं।
सभी खाद्य तेल महंगे
यूक्रेन पर हमले के बाद खाद्य तेलों की सप्लाई का भी गणित गड़बड़ा गया है। यूक्रेन सूर्यमुखी के तेल का प्रमुख उत्पादक है। भारत में वहां से अच्छी खासी मात्रा में सूर्यमुखी का तेल (Sunflower Oil) मंगाया जाता है। वहां से इस हालात में इसका आयात संभव नहीं है। कारोबारियों का कहना है कि अभी बाजार में मांग काफी ज्यादा बनी हुई है। इसका कारण अगले महीने होली (Holi) का त्योहार है। स्थानीय बाजारों में 140 से 150 रुपये लीटर में बिक रहा सोयाबीन के तेल दाम (Soybean Oil) 160 से 170 रुपये लीटर तक पहुंच गए हैं। 180 रुपये लीटर में बिकने वाला सूर्यमुखी तेल इन दिनों 200 रुपये लीटर के पार हो गया है।
इंटरनेशनल मार्केट में भी तेजी
बाजार सूत्रों ने बताया कि मंगलवार रात विदेशी बाजार काफी तेजी दर्शाते बंद हुए थे, जिसका अनुकूल असर तेल तिलहन कीमतों पर दिखा और लगभग सभी तेल तिलहन में तेजी आई।
कच्चा पामतेल रेकॉर्ड स्तर पर
बाजार सूत्रों ने बताया कि यूक्रेन और रूस के युद्ध ( Ukraine Russia War) के बीच विदेशों में कच्चा पामतेल (CPO) का दाम 2,000 डॉलर प्रति टन से ऊंचा हो गया है, जो रेकॉर्ड है। सुबह यही भाव 2,120 डॉलर था। आयात करने पर सीपीओ का भाव 167.5 रुपये किलो बैठता है, जबकि पामोलीन का भाव आयात करने पर 177 रुपये किलो बैठता है। ऐसे में सवाल यह है कि इन महंगे दाम वाले तेलों को कौन खरीदेगा।
आयातित तेलों से सस्ते हैं देशी तेल
अर्जेन्टीना और ब्राजील से सोयाबीन डीगम तेल के मार्च की निर्यात खेप नहीं आ रही है। अप्रैल वाली निर्यात की खेप भेजी जा रही है, जो जून तक आने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि सीपीओ का भाव सोयाबीन से लगभग 200 डॉलर टन नीचे रहता था, वह सोयाबीन से लगभग 150 डॉलर अधिक कर दिया गया है। तभी तो देशी तेलों में सरसों (mustard oil rate), बिनौला (cottonseed oil rate) ओर मूंगफली के तेल (peanut oil price), आयातित तेलों से 10-12 रुपये किलो सस्ते हो गए हैं।