नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों के लिए General Provident Fund में ज्यादा रकम जोड़ने का फॉर्मूला अब महंगा पड़ सकता है। क्योंकि आयकर विभाग PF (Provident Fund) खाते में जरूरत से ज्यादा रकम कटवाने पर टैक्स लगाएगा। बता दें कि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में ही प्राइवेट जॉब वालों के PF खाते में 2.5 लाख रुपये तक टैक्स फ्री योगदान का कैप लगाया था। उसके बाद सरकारी कर्मचारियों पर भी GPF (General Provident Fund) में टैक्स फ्री योगदान की सीमा लागू कर दी। यह सीमा 5 लाख रुपये सालाना है। यह कटौती 1 अप्रैल 2022 से शुरू होगी।
आयकर की वसूली सैलरी से
अब आदेश आया है कि 5 लाख रुपये से ऊपर GPF कटवाने वाले सरकारी कर्मचारियों को उसके ब्याज से कमाई पर मोटा टैक्स लगाया जाए। इस आयकर की वसूली उनकी सैलरी में कटौती कर की जाए। सरकार के अकाउंट ऑफिस ने कहा है कि CBDT ने Income-tax (25th Amendment) Rule 2021 लागू कर दिया है। इससे GPF में अधिकतम टैक्स फ्री योगदान की सीमा 5 लाख रुपये लागू हो गई है। इसके ऊपर अगर कर्मचारी ने और कटौती कराई तो फिर ब्याज आय को इनकम माना जाएगा और टैक्स लगेगा। इसका जिक्रा Form 16 में भी किया जाएगा।
टैक्स फ्री ब्याज आय का फायदा
केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट 2021 में टैक्स फ्री ब्याज आय का फायदा उठाने के लिए टैक्स फ्री सालाना पीएफ योगदान को 2.5 लाख रुपये तक सीमित करने का ऐलान किया था। हालांकि, बाद में इस सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया। 5 लाख की सीमा उन कर्मचारियों के लिए थी, जिनके मामले में नियोक्ता योगदान नहीं करते हैं। इससे सरकारी कर्मचारियों को फायदा हुआ। हालांकि टैक्स पेशेवरों और पीएफ विशेषज्ञों ने इसे गलत बताया था।
सामान्य भविष्य निधि में योगदान
सरकार ने यह राहत सामान्य भविष्य निधि (GPF) में योगदान के लिए दी थी। ऐसी सुविधा जो केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है और जहां नियोक्ता द्वारा कोई योगदान नहीं दिया जाता है। हालांकि बजट 2022 से पहले यह खबर आ रही थी कि सरकार प्राइवेट और सरकारी कर्मचारियों के टैक्स फ्री PF योगदान की सीमा को एकसमान कर दे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि इस समय GPF पर 7.1 फीसद ब्याज मिल रहा है। वहीं PF खाते की ब्याज दर थोड़ी ज्यादा है।