सरकारी हस्तक्षेप से खाद्य तेलों की कीमतें लगातार नीचे

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नयी दिल्ली। वैश्विक कीमतों में तेजी के बीच भारत में सरकार के हस्तक्षेप के बाद खाद्य तेल की कीमतें लगातार नीचे आ रही हैं और रबी सत्र की सरसों की बेहतर फसल आने के बाद कीमतों के और घटने की उम्मीद है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अन्य आवश्यक खाद्य वस्तुओं के मामले में, उन्होंने कहा कि चावल और गेहूं की खुदरा कीमतें “बहुत स्थिर” हैं, जबकि दालों की कीमतें स्थिर हो गई हैं। सब्जियों खासकर प्याज, आलू और टमाटर की खुदरा कीमतों में भी कमी आई है।

पांडे ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “जो संकेत हैं, उससे पता चलता है कि हर घर में खाई जाने वाली सभी प्रमुख जरूरी सब्जियों की कीमतों के मामले में स्थितियां सामान्य होने जा रही है। और हमें इन सब्जियों की कीमतों में किसी बड़ी बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है।”

खाद्य तेलों के मामले में, सचिव ने कहा कि जब देश अपनी खाद्य तेल की आवश्यकता के लगभग 60 प्रतिशत भाग का आयात करने पर निर्भर है, तो घरेलू कीमतें स्वाभाविक रूप से अंतरराष्ट्रीय कीमतों से प्रभावित होंगी। पांडे ने कहा कि सरकार ने खाद्य तेलों के मामले में आयात शुल्क घटाकर लगभग शून्य कर दिया है और इसने (खुदरा) कीमतों में बहुत महत्वपूर्ण कमी दिखाई है। सरकार द्वारा अंशधारकों के साथ कई बैठकें करने के बाद खुदरा खाद्य तेल की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत की कमी आई है।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेल उद्योग के इतिहास में पहली बार वैश्विक कीमतें उच्च स्तर पर चल रही हैं। अन्य बातों के अलावा मलेशिया में उत्पादन में गिरावट, इंडोनेशिया में बायोडीजल की ओर रुख करने और अर्जेंटीना में सूरजमुखी बीज फसल की विफलता के कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं। हालांकि, भारत का घरेलू तिलहन उत्पादन इस साल बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि मौजूदा रबी सत्र में सरसों की बुवाई एक साल पहले की तुलना में लगभग 32 प्रतिशत अधिक है।

सचिव ने कहा, “इसलिए, हम आने वाले महीनों में सरसों की अधिक फसल होने की उम्मीद कर सकते हैं, जिससे निश्चित रूप से कीमतों में नरमी आयेगी।” उन्होंने कहा कि सरकार साप्ताहिक आधार पर अपनी नियमित अंतर-मंत्रालयी बैठकों में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की बहुत बारीकी से निगरानी कर रही है।