कोटा/बूंदी। गांव के विकास की आवश्यकताएं जनप्रतिनिधियों से अधिक ग्रामीण समझते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि विकास कार्यों की प्राथमिकताएं भी नेता नहीं बल्कि ग्रामीण स्वयं तय करें। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतंत्र को और अधिक सशक्त बनाया जाना आवश्यक है। यह बात लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रबुद्धजन सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
बूंदी जिले के गेंडोली गांव में स्थित कंचनधाम सेवा संस्थान परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बिरला ने कहा कि आज वे जिस भी ग्रामीण क्षेत्र में जाते हैं लोग वहां विकास कार्यों की आवश्यकताओं का आवेदन पत्र दे देते हैं। इनमें से अधिकांश आवेदन एक ही प्रकार के कार्यों के होते हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों के लिए यह तय करना कठिन हो जाता है कि वे कौन से कार्य को प्राथमिकता दें।
उन्होंने कहा कि ऐसे में यह जरूरी है कि गांव के लोग बैठक में गांव के विकास की आवश्यकताओं की सूची बनाएं। फिर इस सूची में प्राथमिकता वाले कार्यों का आपसी विचार-विमर्श से निर्धारण कर जनप्रतिनिधियों का अवगत कराएं तथा उनसे कार्यों की प्रगति का निरंतर फाॅलोअप लें। इससे जनप्रतिनिधि के लिए भी यह समझना आसान हो जाएगा कि किस कार्य के होने से अधिकांश जनता लाभान्वित होगी। इससे ही आदर्श गांव की स्थापना के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता आमजन की करें सहायता
उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह भी दायित्व है वे आमजन की उनके कार्यों में सहायता करें। सामाजिक कार्यकर्ता गांव में कुपोषित महिलाओं की सूची तैयार करें, वे केसीसी की सुविधा से वंचित किसानों को चिन्हित करें, वे ऐसे व्यक्तियों और परिवारों का पता लगाएं जिनकी सहायता किया जाना बेहद आवश्यक हो, वे ऐसे रोगियों तक पहुंचे जिनका उपचार करवाया जाना आवश्यक हो। इनकी जानकारी फिर हमें उपलब्ध करवाएं ताकि उनकी समस्याओं और परेशानियों को दूर किया जा सके।
जनता का भरोसा और विश्वसनीयता बेहद जरूरी
उन्होंने कहा कि समाज की सेवा करते हुए कभी फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। किसी भी सामाजिक कार्यकर्ता की पहचान जनता के प्रति उसके भरोसे और विश्वास से होती है। यदि किसी बड़े नेता के प्रति जनता में विश्वास नहीं है तो उसके होने या नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यदि किसी कार्यकर्ता पर पद नहीं होने के बावजूद जनता का भरोसा है तो उसकी छोटी से पहल भी बड़े परिणाम लाती है।
बिरला ने की कंचन धाम में अर्चना
इससे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कंचन धाम में पूजा-अर्चना कर देश की प्रगति और देशवासियों के कल्याण की कामना की। उन्होंने कहा कि धर्म और आध्यात्म के यह केंद्र मानव सेवा की प्रेरणा के भी बड़े स्रोत हैं। कोविड के दौरान हमारी धार्मिक संस्थाओं ने न सिर्फ समाज के प्रत्येक वर्ग की सेवा की बल्कि अन्यों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया।
बिरला के रूप में जनता का चुनाव सही
प्रबुद्धजन सम्मेलन को संबोधित करते हुए बूंदी विधायक अशोक डोगरा ने कहा कि सांसद के रूप में ओम बिरला का चयन कोटा-बूंदी की जनता का निर्णय बेहद सही था। बिरला न सिर्फ लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन बखूबी कर रहे हैं बल्कि संसदीय क्षेत्र की जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को भी पूरा करने में जुटे हैं। कोविड के दौरान स्पीकर बिरला के प्रयासों से हजारों लोगों की जान बच सकी। क्षेत्र के लोग जब भी किसी परेशानी में होती हैं, बिरला उसकी सहायता के लिए सदैव साथ होते हैं।
विकास के लिए भेदभाव नहीं हो
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केशवरायपाटन विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने कहा कि चुनाव से पहले नेता का दल से संबंध होता है। लेकिन जनप्रतिनिधि बनने के बाद वह किसी दल का नहीं बल्कि सम्पूर्ण क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में यह उसका दायित्व है कि संतुलित विकास के लिए वे किसी के साथ भेदभाव नहीं करे। यही बात सरकारों पर भी लागू होती है। हालांकि, कई बार ऐसा देखने में आता है कि सरकार राजनीतिक दृष्टिकोण रखती है। ऐसे में यदि हमारे क्षेत्र की जनता को किसी परेशानी कर सामना करना पड़ता है तो उसका विरोध करने के लिए भी हम सदैव तत्पर हैं।