सोयाबीन की फसल पर सोपा की सर्वे रिपोर्ट, जानिए निष्कर्ष

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इंदौर। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) इंदौर की तीन टीमों द्वारा गत 25 अगस्त से 5 सितंबर, 2021 तक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सोयाबीन की फसल का एक बहुत व्यापक क्षेत्र सघन सर्वेक्षण किया गया।इस टीम द्वारा सर्वेक्षण के लिए 8743 किमी का सफर किया गया। कार्यकारी निदेशक के अनुसार इसका उद्देश्य खड़ी फसल के स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाना था।

इस सर्वे में किसानों, व्यापारियों, कृषि आदान विक्रेताओं, आपूर्तिकर्ताओं, मंडी अधिकारियों और सोया प्रसंस्करणकर्ताओं के साथ बातचीत की गई। कुल क्षेत्र को चार स्वास्थ्य श्रेणियों खराब, सामान्य, अच्छा और बहुत अच्छा में विभाजित किया गया था।

इस सर्वेक्षण में क्षेत्र में फसल की स्थिति खराब 12.83 प्रतिशत, सामान्य 42.20 प्रतिशत, अच्छी 22.97 प्रतिशत और बहुत अच्छी 15.46 प्रतिशत पाई गई। कुछ जिलों में फसल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। तदनुसार सरकार द्वारा दिए गए बुवाई के आंकड़ों से क्षेत्र को उस हद तक कम कर दिया गया है। क्षेत्रफल में कमी 6.545% या 8.09 लाख हेक्टेयर है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में फसल अनाज भरने की अवस्था में है। महाराष्ट्र में लाल चने के साथ बड़े क्षेत्रों में अंतर फसल देखी गई।

मध्य प्रदेश के गुना, अशोकनगर, विदिशा सागर, दमोह, राजगढ़, भोपाल, जिलों में भारी बारिश के कारण निचले इलाकों में जल जमाव के कारण कुछ नुकसान देखा गया है। इससे उत्पादकता प्रभावित होगी। वहीं इन्हीं जिलों में कुछ क्षेत्र सोयाबीन से काला चना, मूंग, मक्का, धान में परिवर्तित किया गया है।

मध्य प्रदेश के रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में, कीटों और कीटों (तना मक्खी, पत्ती झुलसा और जड़ सड़न) के हमले से एक छोटे से क्षेत्र में फसल प्रभावित हुई है। जबकि राजस्थान में पर्याप्त क्षेत्र काला चना, मूंग, मक्का, धान आदि में परिवर्तित हो गया है। राजस्थान में जुलाई के अंतिम सप्ताह में देर से बुवाई होने से पौधों की वृद्धि प्रभावित हुई है। फसल फूलने और फली बनने की अवस्था में है।