मुंबई। प्रमुख नीतिगत दरों को निर्धारित करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा को अंतिम रूप देने के लिए अपनी तीन दिवसीय बैठक शुरू की। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति के दबावों के बीच केंद्रीय बैंक ब्याज दरों पर यथास्थिति का विकल्प चुन सकता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के प्रस्तावों को जारी करेंगे। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी में तीन बाहरी सदस्य भी शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई मौद्रिक नीति के मोर्चे पर कोई बड़ा फैसला करने से पहले थोड़ा और इंतजार करेगा, क्योंकि केंद्रीय बैंक का ध्यान मुद्रास्फीति के प्रबंधन के साथ ही आर्थिक वृद्धि को बल देने पर भी है। केंद्रीय बैंक ने जून की नीति बैठक में प्रधान ब्याज दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। यह लगातार छठी बार था, जब एमपीसी ने ब्याज दर पर यथास्थिति बनाए रखी।
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंद राव ने कहा कि एमपीसी ने मई 2020 से प्रमुख नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई एमपीसी रेपो दर को चार प्रतिशत पर बनाए रखते हुए हाल में शुरू हुए पुनरुद्धार का समर्थन जारी रखेगी। हमें यह भी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक एक चेतावनी देगा और स्थिति की बारीकी से निगरानी करने की जरूरत पर जोर देगा।’’
हाउसिंग डॉट कॉम, मकान डॉट कॉम और प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के समूह सीएफओ विकास वधावन ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति में यथास्थिति बनाए रखेगा।’’