इंदौर। भारत में खरीफ फसल वर्ष 2021-22 में सोयाबीन की खेती 9.9 प्रतिशत बढ़कर 133 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोयाबीन की ऊंची कीमतों से खेती को बढ़ावा मिलेगा। कृषि मंत्रालय के मुताबिक साल 2020-21 में 121 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती हुई थी।
जीजी पटेल एंड निखिल रिसर्च कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर गेविंद पटेल ने कहा कि ऊंची कीमतों से इस साल किसानों को सोयाबीन की खेती बढ़ाने में मदद मिलेगी। वैश्विक बाजारों में सोयाबीन की कीमतें भी काफी अधिक हैं। वहीं, चालू विपणन वर्ष में वैश्विक तिलहन में गिरावट की संभावना है।
कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन की कीमतें 18 अप्रैल, 2021 को 8,100 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गईं, जो वर्तमान में गिरकर 7,140 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। कीमत एक साल पहले की तुलना में करीब 80 फीसदी ज्यादा है।
व्यापारियों का मानना है कि सोयाबीन की कीमतों में कमी आने की संभावना नहीं है क्योंकि जून से अगस्त तक बुवाई का मौसम होता है। इसलिए रोपण के लिए बीज की व्यवस्था करना भी एक चुनौती है। किसान स्वयं बीजों का भंडारण करते हैं लेकिन गुणवत्ता अच्छी नहीं है। क्योंकि वे प्रमाणित बीज नहीं हैं।
सरकार ने वर्ष 2021-22 में 281,101 टन प्रमाणित बीज जारी किया है, जो कि 2,89,866 टन की आवश्यकता से कम है। उधर, फसल वर्ष 2021-22 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य अभी घोषित नहीं किया गया है।
उम्मीद है कि देश में तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसका एमएसपी बढ़ाया जाएगा। उच्च एमएसपी किसानों को खेती बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है। सोयाबीन की कीमतें इस साल दोगुनी होकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पहुंच गई हैं। यही वजह है कि इस साल किसान अपनी खेती बढ़ा सकते हैं।