बिकवाली के दबाव में सेंसेक्स 273 अंक लुढ़ककर 52579 पर बंद, निफ्टी 15750 से नीचे

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मुंबई। शेयर बाजारों में बिकवाली के दबाव से बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) मंगलवार को 273 अंक से अधिक लुढ़क गया। चीन के बाजार में विदेशी निवेशकों की ओर से चौतरफा बिकवाली की खबरों का स्थानीय बाजार पर असर दिखा। सेंसेक्स में बड़ी हिस्सेदारी वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries), डॉ. रेड्डीज (Dr. Reddy’s) और एक्सिस बैंक (Axis Bank) में गिरावट के साथ बाजार नीचे आया। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई30 सेंसेक्स शुरू में बढ़त पर था। बाद में इसमें दबाव में आ गया। अंत में यह 273.51 अंक यानी 0.52 प्रतिशत लुढ़क कर 52,578.76 पर बंद हुआ।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी (NSE Nifty) भी 78 अंक यानी 0.49 प्रतिशत की गिरावट के साथ 15,746.45 अंक पर बंद हुआ। डॉ. रेड्डीज का शेयर 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ सेंसेक्स के शेयरों में सर्वाधिक नुकसान में रहा। खर्च बढ़ने से कंपनी का एकीकृत लाभ जून 2021 को समाप्त तिमाही में 36 प्रतिशत की गिरावट के साथ 380.4 करोड़ रुपये रहने की खबर से शेयर टूटा।

इसके अलावा, एक्सिस बैंक, सन फार्मा, कोटक बैंक, एचडीएफसी और आईटीसी 3.19 प्रतिशत तक नीचे आए। दूसरी तरफ टाटा स्टील, बजाज फिनसर्व, भारतीय स्टेट बैंक, बजाज फाइनेंस और टेक महिंद्रा समेत अन्य शेयर लाभ में रहे।

बैंक और दवा कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली
एलकेपी सिक्योरिटीज के एस रंगनाथन ने कहा, ‘‘चीन सरकार की नीतियों के साथ वहां के बाजारों में वैश्विक कोषों की बिकवाली से निवेशकों में घबराहट आई और घरेलू बाजार में तेजी जाती रही। हालांकि यह सबको पता है कि इसका भारत पर सकारात्मक असर होगा, फिर भी गिरावट आई।’’ उन्होंने कहा कि बैंक और दवा कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली देखी गई। इसका कारण कुछ औषधि कंपनियों को लेकर नकारात्मक खबरों का होना है। दूसरी तरफ कपड़ा निर्यातकों और कॉफी वायदा मजबूत होने से कॉफी कंपनियों के शेयरों में तेजी रही।

वैश्विक बाजारों का हाल
एशिया के अन्य बाजारों में शंघाई और हांगकांग में भारी बिकवाली रही। इसका कारण चीनी इंटरनेट और अन्य कंपनियों पर डाटा सुरक्षा समेत अन्य प्रकार की कार्रवाई बताई जा रही है।सियोल और टोक्यो लाभ में रहे। यूरोप के प्रमुख बाजारों में मध्याह्न कारोबार में नुकसान का रुख रहा। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.30 प्रतिशत मजबूत होकर 73.91 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।