नई दिल्ली। देशभर में किसानों का आंदोलन जारी है। सरकार से कई दौर की वार्ता के बाद भी टकराव बना हुआ है। किसान विवादास्पद कृषि कानून वापस लेने की अपनी जिद पर अड़े हैं। दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि वह बातचीत करके मुद्दे सुलझाना चाहती है और कानून में संशोधन करने को तैयार है। इस मुद्दे पर टीवी चैनल रिपब्लिक भारत के पूछता है भारत कार्यक्रम में एंकर अर्नब गोस्वामी ने कहा कि किसानों के आंदोलन में राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। इस पर पैनलिस्ट ने कहा कि आप गलत फुटेज चला रहे हैं।
अर्नब गोस्वामी कहा कि किसानों के आंदोलन में माओवादी, टुकड़े-टुकड़े और नक्सली गैंग के लोग क्यों पहुंच रहे हैं। क्या वे किसान हैं? कहा कि उनके पास सबूत है। इस आंदोलन में उमर खालिद, सरजिल इमाम. वरवर राव, गौतम नवलखा की तस्वीरें क्यों दिखाई जा रही हैं। क्या उमर खालिद किसान है। क्या सरजिल इमाम किसान है। क्या माओवादी वरवर राव ने खेत में ट्रैक्टर चलाई है। क्या माओवादी गौतम नवलखा ने हल चलाया है?
डिबेट में कांग्रेस के नेता अमलेंदु उपाध्याय से उन्होंने पूछा कि बताएं क्या ये किसान हैं। राहुल गांधी, राबर्ट वाड्रा और सोनिया गांधी इस आंदोलन में क्यों शामिल हैं? कहा कि पहले कहा गया कि इस आंदोलन से नेताओं को कुछ लेना-देना नहीं है। फिर कहा गया कि इसमें नेता शामिल नहीं हैं। इसके बाद नेता उनकी आवाज बनने की बात कहने लगे। यह तो गिरगिट की तरह रंग बदलने वाली बात है।
इससे पहले केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को कहा कि मीडिया को यह पड़ताल करना चाहिए कि क्या राष्ट्रीय राजधानी से जुड़ी विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के पीछे कोई और ताकत है। दोनों मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि दो कृषि कानूनों के प्रावधानों में संशोधन के लिए केन्द्र पहले ही प्रस्ताव का मसौदा किसान संघों के नेताओं को भेज चुका है और अब उन्हें अगले चरण की बातचीत के लिए तारीख तय करना है।
इस बीच, किसान संघों ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए कानूनों को वापस लेने की मांग की है। यहां तक कि उन्होंने आने वाले दिनों में आंदोलन की धार तेज करने, ट्रेन की पटरियां अवरुद्ध करने और दिल्ली आने वाले राजमार्गों को जाम करने की घोषणा की है। यह पूछने पर कि क्या आंदोलन के पीछे कोई और ताकत है, तोमर ने कहा, “मीडिया की नजरें तेज हैं और यह पता लगाने का काम उस पर छोड़ते हैं।” प्रदर्शन कर रहे किसान संघों को भेजे गए प्रस्ताव के मसौदे पर गोयल ने कहा, “प्रेस को पड़ताल करनी होगी और पता लगाना होगा।”