कोटा। आर्य समाज कोटा की ओर से चल रहे तीन दिवसीय व्यक्तित्व विकास एवं वैदिक संस्कार शिविर के दूसरे दिन शनिवार को रावतभाटा रोड स्थित शिव ज्योति स्कूल रथकांकरा में ध्यान, योग और ब्रह्मचर्य का महत्व बताया गय। शिविर में सोनीपत से आचार्य संदीप तथा गांधीधाम से आचार्य चन्द्रेश ने ज्ञान, कर्म, उपासना, कर्मफल सिद्धान्त, ईश्वर पूजा, सदाचार और संस्कारों का महत्व, नैतिक शिक्षा, पंच महायज्ञ, सफल गृहस्थ जैसे विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
आचार्य चंन्द्रेश ने शिविर के दौरान कहा कि विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य पालन का विशेष महत्व है। ब्रह्मचर्य पालन करने से बुद्धि और बल बढ़ता है। योग के आठ अंग होते हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि। प्रत्येक विद्यार्थी को यम-नियम का पालन करते हुए नियमित रूप से आसन व प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य का विशेष महत्व है। ब्रह्मचर्य के पालन से शारीरिक शक्ति बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है।
आचार्य संदीप ने सत्संग से लाभ एवं कुसंग से हानि विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को अपने महापुरुषों से प्रेरणा लेकर तप-त्याग सेवा और संघर्ष के रास्ते पर चलते हुए सुख, दुख, मान-अपमान, हानि, लाभ, जय पराजय का विचार किए बगैर सत्य के मार्ग पर चलते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
शिविर संयोजक पीसी मित्तल ने सूक्ष्म व्यायाम, पांच प्राणायाम, भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उदगिद बैठकर करने वाले पांच आसन सिद्ध आसन, पदमासन, गोमुख आसन, शश्कासन, मण्डुका आसन, खड़े होकर पांच आसन ताड़ आसन, वृक्षासन, नटराज आसन, त्रिकोण आसन, पादहस्तासन, लेटकर करने वाले पांच आसन सर्प आसन, शलभ आसन, धनुरासन, उतानपाद आसन, सर्वांग आसन, हलासन आदि का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने आसन और प्रा णायाम से होने वाले लाभ के विषय में प्रकाश डाला।