नई दिल्ली। सब्सिडी देने की बजाए मोदी सरकार किसानों को 2019 के आम चुनाव से पहले बड़ी राहत दे सकती है। न्यूज वायर ब्लूमबर्ग के मुताबिक केंद्र सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उन्हें सीधे नकदी मदद दिए जाने का एलान कर सकती है।
सरकार की योजना उर्वरक पर दी जाने वाली सब्सिडी समेत सभी सब्सिडी को एक कर, उसके बदले नकद मदद मुहैया कराने की है। उन्होंने कहा कि इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए सरकार को सालाना 70,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। चालू वित्त वर्ष के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के मद में 70,100 करोड़ रुपये दिए जाने का बजटीय प्रावधान किया था।
सरकार, राजकोषीय घाटे के बजटीय लक्ष्य को वित्त वर्ष पूरा होने से पहले ही पार कर चुकी है, ऐसे में चालू वित्त वर्ष के दौरान उसके पास खर्च बढ़ाने की गुंजाइश बेहद कम है। इस अतिरिक्त खर्च से राजकोषीय घाटे की स्थिति पर कोई असर नहीं होगा। रुपये और बॉन्ड में आई मजबूती से सरकार को मदद मिलेगी।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन फडणवीस ने कहा, ‘अगर आप अभी ऐसा कुछ करते हैं तो आपको कहीं और कटौती करनी होगी। वह (सरकार) जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसद के लक्ष्य के पार नहीं जाएंगे।’ हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि लगातार दूसरे साल सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में विफल हो सकती है।
गौरतलब है कि चालू् वित्त वर्ष को खत्म होने में अभी तीन महीनों से ज्यादा का समय बचा हुआ है लेकिन सरकार का राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य के मुकाबले करीब 115 फीसद के स्तर को छू चुका है। अप्रैल से नवंबर के बीच देश का राजकोषीय घाटा 7.17 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो बजट लक्ष्य का 114.8 फीसद है।
वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में टैक्स से कुल आमदनी 7.32 लाख करोड़ रुपये हुई। मौजूदा आंकड़ों के आधार पर माना जा रहा है कि सरकार के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल होगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसद घाटे का लक्ष्य रखा है। दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी 7.1 फीसद रही है।