नई दिल्ली। जीरे की नई आवक बढ़ने का असर इसकी कीमतों पर दिखने लगा है। नई आवक के दबाव में जीरे के भाव लुढ़क रहे हैं। इस साल जीरे का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। इससे इस साल जीरा पिछले साल की तुलना में सस्ता रहने की संभावना है। पिछले साल जीरे के भाव 65 हजार रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर चले गए थे।
बीते कुछ दिनों से जीरे की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) पर 20 फरवरी को जीरे का मार्च अनुबंध 27,215 रुपये के भाव पर बंद हुआ, जिसने खबर लिखे जाने के समय 25,170 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर दिन का निचला स्तर छू लिया। आज ही यह अनुबंध में कारोबार के दौरान करीब 4 फीसदी लुढ़क गया। जीरे की प्रमुख मंडी ऊंझा में जीरे के थोक भाव करीब 2,000 रुपये गिरकर करीब 28,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं।
क्यों आ रही है गिरावट?
जीरे की कीमतों आ रही है इस गिरावट की वजह इसकी नई फसल आना है। आईग्रेन इंडिया में जिंस विश्लेषक राहुल चौहान ने कहा कि मंडियों में नये जीरे की आवक बढ़ रही है। इसलिए इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है। मंडियों में जिंसों की आवक व भाव के आंकड़े रखने वाली एजेंसी एगमार्कनेट के अनुसार इस साल एक जनवरी से 25 फरवरी की अवधि में मंडियों में करीब 38 हजार टन जीरे की आवक हुई, पिछली समान अवधि में यह आंकड़ा करीब 24 हजार टन था। इस तरह इस साल आवक में करीब 58 फीसदी इजाफा हुआ है।
जीरे का उत्पादन
पिछले साल जीरे के उत्पादन में बड़ी गिरावट के कारण इसके भाव काफी बढ़ गए थे। लेकिन इस साल देश में जीरे का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। चौहान ने बताया कि कारोबारी अनुमान के मुताबिक इस साल देश में 90 से 95 लाख बोरी जीरे का उत्पादन हो सकता है। पिछले साल 55 से 60 लाख बोरी उत्पादन हुआ था।