शोभायात्रा में गूंजी मधुर स्वर लहरियां, भागवत कथा का महात्म्य बताया
कोटा। Srimad Bhagwat Katha At Kota: राष्ट्रीय संत कार्ष्णि बालयोगी महाराज ब्रह्मानंद के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा रविवार से सनातन धर्म श्रीराम मन्दिर दादाबाड़ी पर प्रारम्भ हुई। इससे पहले गोदावरी धाम बालाजी मंदिर से कलश यात्रा निकाली गई। जो विभिन्न मार्गों से होते हुए सनातन धर्म मंदिर शास्त्री नगर दादाबाड़ी कथा स्थल पहुंची।
इस दौरान घोड़े, बग्घी के साथ ही डीजे और बैंड मधुर स्वर लहरियां बिखेरते चल रहे थे। यजमान शेरसिंह राजावत सिर पर भागवत धारण कर चल रहे थे। उन्होंने भागवत पूजन कर कथा का शुभारम्भ कराया।
कथा के दौरान व्यासपीठ से बालयोगी महाराज ने कहा कि भागवत स्वयं भगवान का वांग्मई स्वरूप है। भागवत के अंदर किसी देवी या देवता या हनुमान जी या भैरव बाबा की स्तुति नहीं की गई है। केवल सत्य की स्तुति की गई है। सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। भागवत पंचम वेद है। आचार्य श्री शुकदेव महाराज का यज्ञोपवीत संस्कार भी नहीं हुआ।
लौकिक बौद्धिक कर्मों से अनुष्ठान का अवसर भी नहीं आया। तभी आचार्य शुकदेव महाराज जंगल के लिए निकल गए। उन्होंने कहा कि माया बांधती है और भगवान माया से अलग कर देते हैं। कार्ष्णि सेवा समिति के प्रवक्ता लीलाधर मेहता ने बताया कि कथा प्रतिदिन 1 बजे से आयोजित होगी।