महिला-पुरूष बंदियों ने जानी नेत्रदान की प्रक्रिया व सावधानियां

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राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा की शुरूआत

कोटा। आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान के कोटा चैप्टर इकाई की ओर से मंगलवार को केन्द्रीय कारागृह कोटा में नेत्रदान पखवाड़े का उद्घाटन एवम् नेत्रदान जागरूकता संगोष्ठी आयोजित की गई।

नेत्रदान परिचर्चा में डॉक्टर के. के. कंजोलिया ने बताया कि संसार में हर 4 में से 1 भारतीय व्यक्ति, अंधता से पीड़ित हैं। नेत्रदान मरने के उपरांत 6 से 8 घंटे में ही लिया जाता है। उसमें भी केवल कॉर्निया ही लिया जाता है, जिसमें 15 मिनट का समय ही लगता है।

वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉक्टर सुरेश पाण्डेय ने नेत्र मॉडल के माध्यम से नेत्र की संरचना, विभिन्न नेत्र रोग, दृष्टि दोष, इत्यादि की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने नेत्रदान से संबंधित भ्रांतियों का निवारण किया।उन्होंने बताया कि विश्व में प्रत्येक 5 सेकण्ड में एक वयस्क व्यक्ति एवं प्रति मिनट एक बच्चा अंधता के अभिशाप से ग्रस्त होता है। विश्वभर में चार करोड़ तीस लाख व्यक्ति अंधता के अभिशाप से ग्रसित हैं। भारत में लगभग एक करोड़ 80 लाख व्यक्ति अंधेपन से ग्रस्त हैं।

देश में अंधता दृष्टि बाधिता के पांच प्रमुख कारण मोतियाबिन्द, काला पानी (ग्लूकोमा), दृष्टि दोष, रेटिना (पर्दे) की बीमारियां एवं आँख की पारदर्शी पुतली (कॉर्नियां) में होने वाले रोग शामिल हैं। भारत में कुल अंधता का लगभग एक प्रतिशत कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के कारण है। देश के एक लाख बीस हजार लोगों की दोनों आँखों का कॉर्निया अंधता की स्थिति तक खराब है। लगभग दस लाख लोगों के दोनों आँखों का कॉर्निया प्रभावित है, जिसके कारण उन्हें कम दिखता है।

लगभग 68 लाख लोगों का एक कॉर्निया प्रभावित है। हर वर्ष लगभग 25-30 हजार रोगी कॉर्निया खराब होने के कारण अंधता से ग्रसित हो रहे हैं । इन सब में से लगभग 50 प्रतिशत रोगी कॉर्नियल ट्रांसप्लांट (पारदर्शी पुतली के प्रत्यारोपण) द्वारा रोशनी वापस प्राप्त कर सकते हैं। हर वर्ष कम से कम दो लाख पचास हजार कॉर्निया की आवश्यकता है। परन्तु प्रतिवर्ष 50 हजार के लगभग ही नेत्रदान हो पाते हैं।

कार्यक्रम के दौरान जेल अधीक्षक परमजीत सिंह सिद्धू ने नेत्रदान का संकल्प लेते हुए सभी बंदियों को इस पवित्र एवं पुनीत अभिशंसा के अनुरूप बंदियों को सामाजिक दायित्व का अद्धितीय, अनुकरणीय एवं प्रशसनीय निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया। नेत्रदान की उपयोगिता, पात्रता और भ्रांतियों पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान संस्था द्वारा नेत्रदानियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये गये।

10 मिनट में पूरा होता है नेत्रदान, नहीं होती विकृति
डॉक्टर के. के. कंजोलिया ने नेत्रदान प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वर्तमान में आंखों से कॉर्निया निकालने की प्रक्रिया 10 मिनट में पूरी कर ली जाती है आंखों में लेंस लगा दिया जाता है, जिससे उसमें कोई कुरूपता नहीं आती है। नेत्रदान 10 मिनट में पूरी हो जाने वाली, एक रक्त विहीन प्रक्रिया है। इसमें किसी ओ.टी. की भी आवश्यकता नहीं होती है। 2 वर्ष से 80 वर्ष तक की उम्र के व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं। उन्होने बताया कि मृत्यु के उपरांत दिवंगत की आँखों को पूरी तरह बंद कर, उन पर गीला रुमाल या कपड़ा रख, पंखा बंद कर देना चाहिए, एयरकंडीशन या एसी ऑन करें जिससे आंखों का कॉर्निया सुरक्षित रहे और सूखे नहीं।

आई मॉड्यूल से समझे आंख की प्रक्रिया
एसोसिएशन के कॉर्डिनेटर डॉ. सुरेश पाण्डेय ने आई मॉड्यूल विस्तार से समझाया। आंख हमारे जीवन का सबसे अनमोल तोहफा हैं, दिमाग के बाद हमारे शरीर में सबसे ज्यादा काम हमारी आंखें ही करती हैं। लेकिन आंखों में 20 लाख से ज्यादा वर्किंग पार्ट होते हैं, जो किसी भी प्रकाश को कई चरणों के बाद किसी तस्वीर में बदलते हैं, यानी उस दृश्य को तैयार करते हैं जो हमें नजर आता है। उन्होने कार्निया, आइरिस, लेंस, रेटिना व रिसेप्टर से पूरे चित्र बनने की प्रक्रिया को साझा किया।

यह भी थे मौजूद
जेल अधीक्षक परमजीत सिंह सिद्धू ने बताया कि संगोष्ठी में आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान कोटा चैप्टर, सुरेश सेदवाल सचिव, आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान कोटा चैप्टर, अनिता टेलर केन्द्रीय कारागृह, समाजसेवी जी.डी. पटेल, टैक्निशियन टिंकू ओझा सहित केन्द्रीय कारागृह के स्टाफ सदस्य एवं कैदी उपस्थित थे।