नई दिल्ली। भारत की संसद की लोक लेखा समिति का शताब्दी समारोह का समापन रविवार को हुआ। इस अवसर पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि समय के साथ लोक लेखा समिति की प्रासंगिकता बढ़ी है और समिति से लोगों की आशाएं और अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं। इसलिए, यह लोक लेखा समिति की जिम्मेदारी है कि वह अपनी प्रक्रियाओं को फ्लैक्सिब्ल बनाए।
बिरला ने कहा कि पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के लाभ और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए समिति को कार्यपालिका को देश के विकास के लिए जवाबदेह बनाना चाहिए और सरकार के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
लोक सभा अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि भारत की संसद और राज्य विधानसभाओं की लोक लेखा समितियों का एक साझा डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया जाना चाहिए जहां ऐसी समितियां अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा कर सकें और अपनी सिफारिशों पर की गई कार्यवाही की निगरानी भी कर सकें।
बिरला ने सुझाव दिया कि संसदीय समितियों को लोगों से सीधे बातचीत करनी चाहिए और उनकी राय लेनी चाहिए। लोगों के साथ जितनी अधिक बातचीत होगी, समिति की सिफारिशें भी उतनी ही प्रभावी और सार्थक होंगी।
लोक लेखा समिति को और मजबूत करने तथा भारत की संसद और राज्य विधानसभाओं की लोक लेखा समितियों के बीच बेहतर समन्वय पर जोर देते हुए, बिरला ने कहा कि लोक लेखा समितियों के सभापतियों की एक समिति होनी चाहिए और उस समिति को लोक लेखा समितियों के कामकाज पर व्यापक चर्चा करनी चाहिए। इनके कार्यकरण को अधिक प्रभावी बनाने पर विचार-मंथन करना चाहिए।
इस समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट या सुझावों पर पीठासीन अधिकारी चर्चा कर सकते हैं, ताकि लोक लेखा समितियों को अधिक जवाबदेह, पारदर्शी और जनता के लिए लाभकारी बनाया जा सके । वर्तमान समय में लोक लेखा समितियों के कार्य के व्यापक दायरे के बारे में बात करते हुए बिरला ने कहा कि शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के साधनों का व्यापक उपयोग किया जाए ।
लोक लेखा समितियों के निष्पक्ष कामकाज की परंपरा की सराहना करते हुए बिरला ने कहा कि हम सब को सामूहिक रूप से प्रयास करने चाहिए कि इस परंपरा को न केवल बनाए रखें बल्कि इसे और मजबूत भी करें। राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए।
लोक लेखा समितियों के क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल देते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि लोक लेखा समितियों की क्षमता में सुधार करने से वे जवाबदेही के साधन के रूप में और मजबूत होंगी। समावेशी शासन की दिशा में संसदीय समितियों की भूमिका के बारे में बिरला ने सुझाव दिया कि उन्हें नए क्षेत्रों में विकास की संभावनाओं का पता लगाना चाहिए। इससे सरकारों को विकास के लिए कार्य योजना तैयार करने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर, लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने ‘भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (1921-2021)’ संबंधी शताब्दी मोनोग्राफ जारी किया।