5 गोल्ड मेडल प्राप्त यूनिवर्सिटी की टॉपर अदिति ने लिया ब्रह्मचर्य का व्रत

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कोटा। जिसने फिजिक्स में एमएससी करते हुए पांच गोल्ड मेडल प्राप्त किए। यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोटा की टॉपर रहीं अदिति जैन नाचते हुए मंच पर पहुंची हैं और अचानक से माइक हाथ में थामकर ऐसी घोषणा कर देती हैं कि कुछ देर के लिए चारों ओर नीरवता छा जाती है। दरअसल अदिति ने गुरू मां डॉ. विशुद्धमति माताजी से विशुद्धकुल में शामिल करने की विनती की।

पांडाल में युवती की बात को सुनकर एक बार हर कोई स्तब्ध रह गया। युवती के परिजनों को जब मंच पर बुलाया गया तो उनकी रूलाई रोके भी नहीं रूक रही थी। स्वर्णिम संयम दीक्षा महोत्सव में पांच श्वेत वस्त्र धारण किए हुए महिलाएं नाचते हुए मंच के सामने पहुंची और विशुद्धमति माताजी से प्रतिमा व्रत देने की विनती की।

विशुद्धमति माताजी के साथ में संघस्थ प्रियंका दीदी ने भी माताजी से दीक्षा का आशीर्वाद देने का आग्रह किया। यहां तक तो सबकुछ ठीक था, लेकिन इनके साथ रंगीन वस्त्रों में करीबन 22-23 साल की युवती ने सबसे अंत में माईक थामा तो हर कोई उसकी बात को ध्यान से सुनने लगा।

युवती अदिति जैन ने कहा कि तीन दिन से मंच पर पहुंचकर माईक थामने की कोशिश कर रही थी, लेकिन बहुत कोशिशों के बाद आज यह मेरे हाथ में आया है। उसने कहा कि गुरू मां मुझे आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत, दो प्रतिमा व्रत, संयम की चूनरी, धवल वस्त्र प्रदान करें। मैं भी आपके जैसी बनना चाहती हूं। मैं भी संयम के मार्ग पर चलना चाहती हूं।

उसने कहा कि 10 वर्ष पूर्व भी माताजी कोटा आई थी। तभी से उनसे अभिभूत थी। रात को फिजिक्स की पढाई करते समय मन में दीक्षा काख्याल आया तब से रातों की नींद गायब हो गई है। अब तो मुझे अपनी शरण में ले लो गुरू मां। उसने एक गीत की पंक्तियां गुनगुनाते हुए कहा, मेरे सर पर रख दो गुरू मां अपने दोनों हाथ, देना हो तो दीजिए संयम का उपवास, तेरा अहसान होगा, मेरा उपकार होगा।

इसके बाद आर्यिका विज्ञमति माताजी की ओर से युवती के परिजन कैलाशचन्द जैन, मोहित जैन, पंकज जैन, जितेन्द्र जैन को मंच पर बुलाया। युवती की अचानक की गई घोषणा से सदन तो अवाक् था ही, परिजनों की रूलाई भी फूट रही थी। वे नम आंखों से मंच पर आए और गणिनी विशुद्धमति माताजी को श्रीफल भेंट किया और माताजी को अपनी भारी मन से भाव विभोर होकर अनुमति प्रदान की।

परिजनों की आंखों में थे आंसू
इस दौरान जहां परिजनों की आंखों में आंसू थे, वहीं पिता कैलाश जैन के द्वारा अनुमति दिए जाने पर खुशी से झूम उठी। इसके बाद विशुद्धमति माताजी ने अदिति को आजीवन चप्पल का त्याग, आजीवन रंगीन वस्त्रों का त्याग, आजीवन संयम व्रत के नियमों को ग्रहण कराया। अदिति जैन ने एमएससी की पढाई के दौरान फिजिक्स में पांच गोल्ड मेडल प्राप्त किए हैं। वहीं कोटा यूनिवर्सिटी की टाॅपर भी रही हैं। उनके चार विवाहित बहिनें हैं। अदिति के पिताजी कैलाश जैन बाजटा वाले सरोवर टाॅकीज के पास थोक की किराने की दुकान लगाते हैं।