होली खेलने आई रे, कारे कनुआ से कह दो…

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श्री गिरिराज मित्र मंडल की ओर से आयोजित फागोत्सव में बरसा आनंद का रंग

कोटा। ‘ये मस्त महीना फागुन का, सिंगार बना हर आंगन का, इस रंग का यारों क्या कहना…’, ‘होली खेलांगा आपां गिरधर गोपाल सूं…’, ‘होली खेलने आई रे, कारे कनुआ से कह दो…’, सरीखे भजनों की गूंज, चंग व ढप की थाप एवं भगवान बांके बिहारी की अद्भुत छटा से ऐसा माहौल बना कि हर कोई थिरकने पर मजबूर हो गया।

मौका था श्री गिरिराज मित्र मंडल की ओर से शनिवार को रोड नंबर एक पर इंद्रप्रस्थ एरिया में स्थित उत्सव वाटिका में आयोजित फागोत्सव का। जिसमें श्री गिरिराज मित्र मण्डल के डॉ. गोविन्द माहेश्वरी ने एक से बढकर एक भजन प्रस्तुत किए।

हल्की बयार के बीच भजनों की प्रस्तुतियों की सरिता ऐसी बही कि हर कोई आनन्दित होकर नाचने लगा। होली के उल्लास के बीच भक्ति गीतों का दौर देर तक चलता रहा और श्रद्धालु आनंद में गोते लगाते रहे। कार्यक्रम का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण भी किया गया था।

फूलों की वर्षा: उत्सव वाटिका में आयोजित फागोत्सव पारंपरिक ढंग से मनाया गया। शहरवासियों ने चंग व ढप की ताल के बीच होली गीतों का आनंद लिया। इस दौरान फूलों की वर्षा की गई। महिलाओ पुरुषों ने पारंपरिक वस्त्रों में भजनों की धुन पर रास नृत्य भी किया। ठाकुर जी को भोग एवं आरती-प्रसाद के साथ फागोत्सव का समापन हुआ।