सर्राफा व्यापारियों का सोने के जेवरात पर ई-वे बिल लागू करने का विरोध

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कोटा के सर्राफा व्यापारियों ने विधायक को राज्य सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा

कोटा। Protest Against E-Way Bill: केंद्र सरकार द्वारा 1 अक्टूबर से सभी प्रदेश सरकारों को अपने अपने राज्यों में स्वेच्छिक रूप से 2 लाख से अधिक की गोल्ड ज्वैलरी के मूवमेंनट पर ई- वे बिल लागू करने या न करने की अनुमति का नोटिफिकेशन जारी किया गया है। जिसका प्रदेश भर के मध्यम और छोटे सर्राफा व्यापारियों ने विरोध करते हुए कहा कि यह हमारे हित में नहीं है एवं सर्राफा स्वर्णकार व्यापारियों और कारीगरों में भय का माहौल व्याप्त हो रहा है।

इस ई-वे बिल को राजस्थान में लागू नहीं करने के लिए शुक्रवार को शहर की विभिन्न सर्राफा संगठनों के प्रतिनिधियों ने कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा को ज्ञापन सौंपा और मुख्यमंत्री एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को पत्र मेल किया। विधायक शर्मा ने सर्राफा व्यापारियों की मांग का समर्थन करते हुए तुरंत ही मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किया और इस विषय में पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया।

श्री सर्राफा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र गोयल विचित्र ने बताया कि देश भर में सर्राफा कारोबार पर भी ई-वे बिल लागू करने का विरोध शुरू हो गया है। चूंकि इसे लागू करना या नहीं करना राज्य सरकार के हाथों में है इसलिए सभी राज्यों में मुख्यमंत्री से इसे लागू नहीं करने का निवेदन किया जा रहा है।

विचित्र ने बताया कि ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा की अगुवाई में इस नियम में बदलाव करने का अनुरोध किया जा रहा है। ज्ञापन देने वालों में श्री सर्राफा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष आनंद राठी, पूर्व सचिव विवेक जैन, उपाध्यक्ष सुशील लोहिया, योगेश सोनी, थोक सर्राफा विक्रेता व्यवसायिक संघ के अध्यक्ष अरुण जैन, चौथमाता सर्राफा स्वर्णकार व्यापार समिति के अध्यक्ष आत्मदीप आर्य, स्वर्ण रजत कला उत्थान समिति के अध्यक्ष रमेश सोनी आदि शामिल थे।

विचित्र ने इस ई-वे बिल के विरोध करने की जानकारी देते हुए बताया कि सर्राफा व्यापारियों और स्वर्णकारों में आज भी 90% को आज भी कंप्यूटर का अल्प ज्ञान है। विभिन्न कार्यों के लिए वे कैफे पर आश्रित रहते हैं। ऐसे में वहां जाकर ई-वे बिल जनरेट करना खतरे से खाली नहीं है।

प्रदेश में लगभग आधे से भी अधिक ज्वेलर्स ने अपने विभिन्न कार्यों के लिए पार्ट टाइम कंप्यूटर ऑपरेटर की व्यवस्था की हुई है जो ऑपरेटर कई अन्य फर्मों का कार्य भी साथ में करते हैं। जिनसे भी ई वे बिल का कार्य लेने पर गोपनीयता भंग होने का खतरा हो सकता है। अभी पूर्व में ऐसा ही मामला उत्तरप्रदेश के कानपुर में उजागर भी हुआ। जहां फर्म के पूर्व कर्मचारी ने पुलिस से मिलीभगत कर कानपुर के हाइवे में चांदी लूट की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया।

विचित्र ने बताया कि सभी सर्राफा बाजारों में गहनों की तौल के लिए मान्यता प्राप्त धर्मकांटो की पर्ची होना अनिवार्य है। दुकानदार हो, कारीगर या ग्राहक सभी माल स्थानांतरण से पहले धर्मकांटे पर माल भेज कर वजन चेक करते हैं। साथ ही माल की शुद्धता की जांच के लिए हॉलमार्किंग सेंटर भी भेजना होता है। जिसमें ई वे बिल से दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

इसी प्रकार नेकलेस या अन्य जेवर की बिक्री के समय उसमें डोरी लगवाना, पेच सेट कराना, चपड़ी भरवाना, नग नगीने आदि बदलने में भी बार बार कारीगर के यहां भेजा जाता है। ई- वे बिल से इसमें भी ज्वेलर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा ।

ज्ञापन में एक बड़ी परेशानी का विषय यह भी बताया कि एक आभूषण को पूर्ण तैयार करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। जिसके कारीगर और कारखाने अलग अलग होते हैं। जैसे – कास्टिंग कराना, पालिश कराना, छिलाई/सेटिंग कराना तत्पश्चात हॉलमार्किंग करना आदि। ऐसे में एक आभूषण का कई बार ई – वे बिल बनाना पड़ेगा और एक ही आभूषण के लिए छोटे दुकानदारों को कई बार कंप्यूटर कैफे जाना पड़ेगा।

विचित्र ने बताया कि कई बार आभूषणों में तत्काल संशोधन कराना पड़ता है जैसे कि नग बदलना, नाप छोटा करना या रोडियम करना आदि, ऐसे में हमे दिक्कत यह आएगी की हमने जिस कारीगर या कारखाने के नाम से ई – वे बिल बनाया है और वहां पहुंचने पर हमें ज्ञात होता है कि वह यह कार्य कर पाने में असमर्थ है अथवा कार्य की अधिकता के कारण तत्काल कार्य नहीं कर पाएगा। तो ऐसे में हमें फिर वापस आना होगा और अन्य कारीगर / कारखाने के नाम से पुनः ई- वे बिल बनाना होगा।

विचित्र ने कहा कि हमारे कारोबार में उपरोक्त सभी कारणों से ई-वे बिल लागू करने से व्यापार तो प्रभावित होगा ही परंतु हम व्यापारियों और कारीगरों की जान माल का खतरा भी हो जाएगा। इसीलिए सरकार से इसे लागू नहीं करने का आग्रह किया गया है।